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हरियाणा केंद्रीय विश्विद्यालय में कौशल विकास और भारतीय ज्ञान परम्परा पर केंद्रित संकाय संवर्धन कार्यक्रम आयोजित

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ के पंडित मदन मोहन मालवीय टीचर्स ट्रेनिंग केंद्र द्वारा ‘कौशल विकास और भारतीय ज्ञान परंपरा’ विषय पर संकाय संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। आगामी 28 दिसंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम का उद्घाटन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने किया। कुलपति ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन की आवश्यकता है। भारतीय ज्ञान परंपरा अपनी मूल धारणा में वैज्ञानिकता और कौशल विकास के विभिन्न चरणों की प्रतिपूर्ति करती है। इस बात की आवश्यकता है कि शिक्षक इन सोपानों की खोज करें और एक सक्षम और सशक्त भारत के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान करें। भारतीय ज्ञान परंपरा में दार्शनिकता और वैज्ञानिक विचार पद्धति के साथ साथ जीवन कौशल के आधारभूत तत्व विद्यमान हैं।कुलपति ने कहा कि यह उचित समय है जब हम अपनी परंपरा के प्रगतिशील तत्वों को विश्व के समक्ष लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम सभी शिक्षकों को दायित्व है कि समाज और राष्ट्र हित में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दिशा-निर्देशों के अनुरूप अपनी समृद्ध विरासत का उत्खनन करें। कुलपति ने आगे कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा से आबद्ध इस कार्यक्रम में आप सबकी भागीदारी एक सुखद संकेत है। कार्यक्रम में विशेषज्ञ के रूप में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रो. आशीष त्रिपाठी ने भारतीय ज्ञान परंपरा और भक्ति आंदोलन विषय पर वक्तव्य दिया। प्रो. त्रिपाठी ने कहा कि भक्ति आंदोलन ने ज्ञान का लोकतंत्रीकरण करते हुए ज्ञान का मार्ग सबके लिए प्रशस्त किया। उन्होंने कहा कि ज्ञान की कोई एक परंपरा नहीं होती, बल्कि परंपराएँ होती हैं। ज्ञान अपने आप में ही बहुलतावाद का सूचक है। हकेवि में पंडित मदन मोहन मालवीय टीचर्स ट्रेनिंग केंद्र के निदेशक प्रोफ़ेसर प्रमोद कुमार ने मुख्य अतिथि और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इस संकाय संवर्धन कार्यक्रम में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और संस्थाओं के 200 शिक्षक भागीदारी कर रहे हैं। केंद्र के संयोजक प्रो. सुरेंद्र सिंह ने मुख्य अतिथि का परिचय दिया और इस कार्यक्रम की संकल्पना से अवगत कराया। कार्यक्रम का संयोजन डॉ. नितिन, डॉ. सिद्धार्थ राय, डॉ. युद्धवीर और डॉ. आलेख एस. नायक ने किया।