Home

परिवार की समृद्ध व खुशहाली का आधार है परिवार नियोजन

परिवार की खुशहाली के लिये महिलाएं हीं नहीं पुरूषों को भी निभानी होगी अपनी जिम्मेदारी

अररिया(बिहार)जिले की बढ़ती जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिहाज से परिवार नियोजन के उपायों पर अमल जरूरी है. जिले की आबादी 32 लाख के करीब है. जिला राज्य के उच्च प्रजनन दर वाले जिलों में शुमार है. गौरतलब है कि बढ़ती आबादी जरूरी स्वास्थ्य सुविधाओं तक लोगों की पहुंच व टिकाऊ विकास की राह में बाधाएं खड़ी करता है. इसके उलट परिवार नियोजन के उपायों पर अमल करने से मां व शिशु की सेहत में सुधार होता है. जो स्वास्थ्य ढ़ांचे का अनिवार्य हिस्सा है. इससे बच्चों के बीच जन्म अंतराल रखने व गर्भनिरोध में भी मदद मिलती है. कुपोषण घटाने,घर के खर्च को नियंत्रित करने व मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के मामलों में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका साबित हो चुकी है. इसके लिये जिले में विशेष प्रयास किये जा रहे हैं.

दो चरणों में पुरूष नसबंदी पखवाड़ा का हो रहा आयोजन:
जिले में दो चरणों में पुरूष नसबंदी पखवाड़ा का आयोजन किया जा रहा है. इस संबंध में जानकारी देते हुए सदर अस्पताल के फैमली प्लानिंग कार्डिनेटर अविनाश कुमार ने बताया कि पखवाड़ा के तहत 23 से 29 नवंबर के बीच संपर्क अभियान का संचालन किया जा रहा है. इसमें क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता योग्य दंपति से संपर्क स्थापित कर उन्हें परिवार नियोजन के उपायों को अपनाने के लिये प्रेरित कर रही हैं. योग्य दम्पतियों को सूची बद्ध किया जा रहा है. आशा व एएनएम लोगों के घर-घर जाकर परिवार नियोजन के विभिन्न उपायों को अपनाने के लिये प्रेरित व जागरूक कर रही हैं. पखवाड़ा के दूसरे चरण में 30 नवंबर से 06 दिसंबर के बीच संचालित किया जायेगा. इस दौरान सभी पीएचसी में फैमिली प्लानिंग के अतिरिक्त इंतजाम किये जायेंगे. सभी पीएचसी में शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ चिकित्सकों की प्रतिनियुक्ति की जायेगी. दूसरे चरण में गर्भनिरोधक सामाग्री के वितरण व आम लोगों तक सकी उपलब्धता सुनिश्चित कराने पर विशेष बल दिया जायेगा. इसके लिये सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर कंडोम बॉक्स सहित अन्य प्रकार के साधनों का सार्वजनिक प्रदर्शन किया जायेगा.

परिवार नियोजन में पुरूषों की भागीदारी सुनिश्चित कराना है लक्ष्य:
फैमली प्लानिंग कार्डिनेटर अविनाश कुमार ने कहा कि परिवार नियोजन खुशहाल परिवार का आधार है. जिले में फैमली प्लानिंग में पुरूषों की भागीदारी नगण्य है. पखवाड़ा का उद्देश्य है कि परिवार नियोजन के उपायों के प्रति अधिक से अधिक पुरूषों की भागीदारी सुनिश्चित करायी जा सके. पखवाड़ा के तहत सभी पीएचसी को कम से कम 20 फैमिली प्लानिंग का लक्ष्य दिया गया है. वहीं पुरूष नसबंदी के लिये जिले का लक्ष्य 90 रखा गया है. इस संबंध में जानकारी देते हुए केयर इंडिया के एफपीसी अयाज असरफी ने कहा कि जिले में सरकारी स्वास्थ्य संसाधनों पर लोगों का अत्यधिक दबाव है. बढ़ती जनसंख्या व गरीबी इसका सबसे बड़ा कारण है. परिवार का बड़ा आकार भी गरीबी का महत्वपूर्ण कारण है. परिवार बड़ा होने के कारण स्वास्थ्य, शिक्षा सहित अन्य जरूरी संसाधन जुटाने में लोगों को अतिरिक्त आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ता है. इसलिये भी लोगों को छोटे परिवार के महत्व को न सिर्फ समझना होगा बल्कि इसे अपनाने के उपायों के प्रति गंभीर होना होगा. ताकि समृद्ध व खुशहाल परिवार की नींव को मजबूत किया जा सके.

परिवार नियोजन की राह में हैं कई अवरोध:
जानकारी का अभाव व जागरूकता की कमी जिले में परिवार नियोजन की राह में बड़ा अवरोध है. इसके लिये विभागीय स्तर पर भी गंभीर प्रयास की जरूरत है. जैसे शादी के तुरंत बाद दंपति का नाम आरसीएच रजिस्टर पर दर्ज कराना जरूरी है. ताकि क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता उनसे संपर्क स्थापित कर शादी के दो साल बाद पहला बच्चा के लिये प्रेरित कर सके. इसके बाद दंपति को पहले व दूसरे बच्चे के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखने के लिये भी प्रेरित व जागरूक किया जाना जरूरी है. हर चरण में इसके लिये आशा कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है. फैमली प्लानिंग के उपाय किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिये. उपलब्ध विभिन्न संसाधनों में लोगों को चयन की छूट दिया जाना जरूरी है. जो लोगों के संतुष्टी के लिहाज से महत्वपूर्ण है.
संक्रमण से बचाव के लिये इन उपायों पर अमल जरूरी:
नियमित रूप से करें मास्क का उपयोग
भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचें
आपसी मेल-जोल के वक्त शारीरिक दूरी का ध्यान रखें
थोड़े-थोड़े समयांतराल बाद हाथों की सफाई करें
हाथों की सफाई के लिये साबुन व एल्कोहल युक्त सैनिटाइजर का उपयोग सुरक्षित
सार्वजनिक जगहों पर थूकने से परहेज करें
बार-बार अपने नाक, मूंह व आंख को छूने से परहेज करें