हेपाटाईटिस- बी का टीका ही रोकथाम का आखिरी विकल्प, सिविल सर्जन
छपरा हेपाटाईटिस-बी संक्रमित मरीजों के बॉडी फ्लुइड के निरंतर संपर्क में आने से स्वास्थ्य कर्मियों में संक्रमण फ़ैलने की खतरा रहता है। उक्त बातें सिविल सर्जन डॉ माधवेश्वर झा ने जिला स्वास्थ समिति के सभागार में आयोजित विश्व हेपेटाइटिस दिवस के अवसर पर सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों की कार्यशाला में गुरुवार को कही। उन्होंने कहा कि विश्व स्तर पर प्रत्येक साल लगभग 50 लाख स्वास्थ्य कर्मी हेपाटाईटिस- बी वायरस से संक्रमित होते हैं। सामान्य लोगों की तुलना में स्वास्थ्य कर्मियों में वायरस संक्रमण की संभावना दस गुना अधिक होती है। उन्होंने कहा कि हेपाटाईटिस-बी पीड़ितों के ईलाज की व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के कारण हेपाटाईटिस- बी का टीका ही रोकथाम का आखिरी विकल्प होता है। यह टीका लगभग 90 प्रतिशत हेपाटाईटिस- बी का संक्रमण रोकने में प्रभावी होता है।
कर्मियों को लगेगा हेपेटाइटिस-बी का टीका
सिविल सर्जन ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को भी हेपटाइटिस-बी लगाया जाएगा। इस अवसर पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा वीरेन्द्र कुमार चौधरी ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों के बेहतर स्वास्थ्य से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की निरंतरता क़ायम रह सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए सभी स्वास्थ्य कर्मियों को हेपाटाईटिस- बी के टीकों से प्रतिरक्षित जायेगा। ऐसे स्वास्थ्य कर्मी जिनके द्वारा प्रसव कार्य, इंजेक्शन लगाने एवं रक्त तथा उससे संबंधित कार्य किया जाता है, उन्हें हेपाटाईटिस-बी संक्रमण होने का ख़तरा हमेशा बना रहता है। इसलिए इस संक्रमण को रोकने के उपाय के बारे में विस्तार से चर्चा की ।
तीन खुराक दी जाएगी
सीएस ने कहा कि स्वास्थ्य कर्मियों को हेपाटाईटिस- बी के टीके की तीन ख़ुराक दी जायेगी । पहली ख़ुराक के बाद दूसरी ख़ुराक एक महीने के बाद एवं आखिरी ख़ुराक प्रथम ख़ुराक के 6 माह बाद दी जायेगी ।
कार्यशाला में ये थे शामिल
कार्यशाला में जिला मूल्यांकन एवं अनुश्रवण पदाधिकारी भानू शर्मा, यूनीसेफ के समन्वयक आरती त्रिपाठी, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, जिले के सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं स्वास्थ्य प्रबंधकों ने भाग लिया।