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मानवाधिकार मानव जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण- जस्टिस सतीश कुमार मित्तल

महेंद्रगढ़:हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि) ने मंगलवार को विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया। हरियाणा मानवाधिकार आयोग की कार्यप्रणाली पर आधारित इस व्याख्यान को हरियाणा मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस सतीश कुमार मित्तल ने संबोधित किया तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की।

इस अवसर पर हरियाणा मानव अधिकार आयोग के रजिस्ट्रार कुलदीप जैन भी उपस्थित रहे।आजादी का अमृत महोत्सव अभियान के तहत आयोजित इस व्याख्यान को संबोधित करते हुए जस्टिस सतीश कुमार मित्तल ने कहा कि मनुष्य योनि में जन्म लेने के साथ मिलने वाला प्रत्येक अधिकार मानवाधिकार की श्रेणी में आता है। ये ऐसे अधिकार हैं जो सीधे प्रकृति से सम्बन्ध रखते हैं जैसे जीने का अधिकार केवल कानून सम्मत अधिकार नहीं है बल्कि इसे प्रकृति द्वारा प्रदान किया गया है।

जस्टिस मित्तल ने कहा कि मानव अधिकारों में आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकारों के समक्ष समानता का अधिकार एवं शिक्षा का अधिकार आदि नागरिक और राजनैतिक अधिकार भी सम्मिलित हैं। उन्होंने कहा कि मानव अधिकारों एवं मूल अधिकारों के बीच शरीर और आत्मा का सम्बन्ध है। भारतीय संविधान के साथ-साथ मानव अधिकार अधिनियम में न सिर्फ मानवाधिकारों की गारंटी दी गई है बल्कि इसका उल्लंघन करने पर सजा का भी प्रावधान किया गया है। भारतीय संविधान का उद्देश्य एक ऐसे समाज की स्थापना करना है जो विधि संगत होने के साथ मानव हित में भी हो। जस्टिस मित्तल ने हरियाणा मानव अधिकार आयोग की प्रणाली को भी विस्तार से समझाया। साथ ही उन्होंने विद्यार्थियों को भी उनसे जुड़े विभिन्न अधिकारों की जानकारी दी तथा आयोग के द्वारा उठाए गए कुछ सार्थक कदमों से भी अवगत कराया। व्याख्यान के बाद जस्टिरस सतीश कुमार मित्तल ने सवाल-जवाब सत्र के दौरान प्रतिभागियों की शंकाओं का भी समाधान किया।
विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को अपने कर्त्तव्यों एवं अधिकारो की जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान ने हमें समता व शिक्षा जैसे अनेक महत्त्वपूर्ण अधिकार दिए हैं, जो हमें गर्व से जीने की प्रेरणा देते हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति ने विश्वविद्यालय के सभी सहभागियों के मानवाधिकारों की रक्षा हेतु विश्वविद्यालय में प्री-लिटिगेशन सेल बनाने की घोषणा की, जिसमें विश्वविद्यालय से संबंधित मामले को लेकर कोई भी सहभागी सीधा कुलपति महोदय की अध्यक्षता वाले इस सेल में आउटसाइड कोर्ट सेटलमेंट करा पाने में सक्षम होंगे।
इससे पूर्व विश्वविद्यालय की कुलसचिव व आजादी का अमृत महोत्सव की नोडल ऑफिसर प्रो. सारिका शर्मा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने जस्टिस सतीश कुमार मित्तल को स्मृति चिह्न भेंट किया। प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने मानवाधिकारों की प्रासंगिकता पर अपने विचार प्रतिभागियों से साझा किए। मुख्य वक्ता व कुलपति का परिचय डॉ. प्रदीप सिंह ने दिया। कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ. रेनु यादव ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रो. आनन्द शर्मा ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर शैक्षणिक अधिष्ठाता प्रो. दिनेश, परीक्षा नियत्रंक प्रो. राजीव कौशिक सहित विश्वविद्यालय की विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, शिक्षणेतर कर्मचारी, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।