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इरफान खान का विदा होना हिंदी सिनेमा के लिए अपूर्णीय क्षति -फिरोज शाह

बनियापुर(बिहार)इरफान खान का विदा होना हिंदी सिनेमा के लिए एक अपूर्णिय क्षति है । अचानक उनका जाना सभी को अचंभित कर गया । 4 दिन पूर्व ही उनकी मां का निधन हुआ था । लांकडाउन के कारण इस में सम्मिलित नहीं हुए थे।

इनकी आखिरी फिल्म अंग्रेजी मीडियम 13 फरवरी को रिलीज हुई थी । 16 मार्च तक यह फिल्म45 करोड़ का बिजनेस किया था । इनकी अभिनय यात्रा 1988 में सलाम बांबे से शुरू हुई । पहली बार 2005 में फिल्म रोग में लीड रोल किया । अभी 7 जनवरी 2020 को 53 साल को हुए थे । लेखक असीम छावडा इन पर एक पुस्तक लिखी इरफान खान द मैन द डिमर द स्टार । जो रूपा प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है । इरफान खान एन एस डी के छात्र थे । चाणक्य ,भारत एक खोज , चंद्रकांता सीरियल में भी काम किया । इन्हें फिल्म पान सिंह तोमर में अभिनय के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला । साल 2011 चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री से सम्मानित किया गया । हिंदी फिल्मों के अलावा हॉलीवुड फिल्मों में भी काम किया जैसे स्लम डॉग मिलेनियर ,लाइफ ऑफ पाई , अमेजिंग स्पाइडर मैन , जुरासिक वर्ल्ड आदि । अगर हम हिंदी फिल्मों की बात करें तो आजा नचले , हासील, दिल कबड्डी , किस्सा ,लांच बक्स, आन ,चमकू ,डी डे ,सात खून माफ , सलाम बम्बे , धुंध रोग ,इत्यादि रही । साल 2018 में इन्हें न्यूरो एंडोक्राइन ट्यूमर हुआ था । इरफान खान की हिंदी मीडियम 19 मई को रिलीज हुई थी। जो सफल रही । भले ही यह आज हमारे बीच नहीं हैं लेकिन हिंदी सिनेमा में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता ।