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कोरोनाकाल में गर्भवती महिलाओं को विशेष देखभाल की आवश्यकता

नियमित चिकित्सक के सम्पर्क में रहने की जरूरत

खान-पान पर रखें विशेष ध्यान

जन्म के पहले से ही नवजात शिशु का रखें ध्यान

अररिया(बिहार)कोरोना काल में हर कोई परेशानी का सामना कर रहा है. अस्पतालों में ज्यादातर मामले कोरोना से सम्बंधित देखे जा रहे हैं. सभी चिकित्सक भी पूरी निष्ठा के साथ अपने कार्य को संचालित कर रहे हैं. ऐसे समय में गर्भवती महिलाओं को खुद का विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है. उन्हें नियमित तौर से अच्छा खाना-पीना के साथ-साथ चिकित्सक के फोन द्वारा संपर्क में रहना चाहिए. कोरोना के कारण गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य जांच में कोताही नहीं बरतनी चाहिए. जरूरी सुविधा और साधनों को देखते हुए अस्पताल जाकर उनकी जांच भी करानी चाहिए. इसके साथ ही क्षेत्र की आंगनवाड़ी सेविका और आशा के साथ संपर्क में रहना चाहिए ताकि किसी भी प्रकार की समस्या दिखने पर तुरंत उसे हल किया जा सके.

खान-पान का रखें खयाल :
कोरोना काल में गर्भवती महिलाओं को खान-पान पर विशेष खयाल रखना चाहिए. इसके लिए नियमित रूप से हरी सब्जियां और ताजे फल का उपयोग करें. कोरोना से बचाव हेतु बाहर से लाये गए फल और सब्जियों को अच्छी तरह से धो लें. हो सके तो इसके लिए गर्म पानी का प्रयोग करें. गर्भावस्था में आहार में प्रोटीन, विटामिन, कार्बोहाइड्रेट के साथ वसा का होना जरूरी है इसलिए इसके लिए हरी साग-सब्जी, सतरंगी फल, दाल, सूखे मेवे, दूध इत्यादि का उन्हें सेवन करना चाहिए.

चिकित्सक के सम्पर्क में रहें :
कोरोना काल में अस्पतालों में कोविड संक्रमित व्यक्तियों की जमघट रहती है. इसलिए अस्पताल जाने से गर्भवती महिलाओं को बचना चाहिए लेकिन गर्भावस्था की जांच भी उनके लिए बहुत जरूरी है. इसलिए मॉस्क और जरूरी किट के साथ अपने गर्भावस्था की जांच कराना जरूरी है. गर्भवती महिला या उनके परिजनों को फोन से भी चिकित्सक के सम्पर्क में रहना चाहिए. उनसे गर्भवती महिला की स्तिथि बताने के साथ-साथ जरूरी जानकारी भी लेते रहनी चाहिए. इसके अलावा अपने क्षेत्र की आंगनवाड़ी सेविका और आशा से भी संपर्क में रहकर जरूरी जानकारी लेना चाहिए. महिला को आंगनवाड़ी केंद्र पर नियमित टीकाकरण करना चाहिए. आशा से सम्पर्क कर एम्बुलेंस व्यवस्था का भी ध्यान रखना चाहिए.

जन्म से पूर्व से ही होने वाले शिशु का रखें ध्यान :
नवजात का स्वास्थ्य माता के स्वास्थ्य से जुड़ा होता है. इसलिए माता को नवजात के जन्म के पूर्व से ही अपने स्वास्थ्य को लेकर सचेत होना चाहिए. यह होने वाले शिशु के स्वास्थ्य होने के लिए बेहद जरूरी है. महिलाओं में प्रत्येक माह माहवारी होने से शरीर में खून की कमी होने का ख़तरा बना रहता है. इसके लिए गर्भावस्था से पूर्व आयरन युक्त आहार के साथ आयरन फ़ोलिक एसिड की गोली का सेवन भी जरुरी होता है. प्रसव के बाद भी नवजात को बेहतर देखभाल की जरूरत होती है. जिसमें 1 घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत ,6 माह तक केवल स्तनपान, कंगारू मदर केयर एवं निमोनिया का प्रबंधन मुख्य रूप से नवजात के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरुरी होता है.

डब्ल्यूएचओ ने जारी किया है गाइडलाइंस :
डब्लूएचओ द्वारा संक्रमण काल में गर्भवती महिलाओं के लिए गाइडलाइंस जारी किया गया है. उनके अनुसार संक्रमण काल में गर्भवती महिला अपने और होने वाले बच्चे का विशेष ध्यान रखें. महिला बाहर निकलने से बचें, साबुन-पानी से हाथ नियमित रूप से धोयें या हैंड सेनिटाइजर का उपयोग करें. प्रसव सम्बधी तैयारी व अस्पताल तक पहुंचने की व्यवस्था पहले से करें. संक्रमण काल में भी प्रसव चिकित्सक के देखरेख में अस्पताल में ही करवाएं.

प्रसव के बाद नवजात की ऐसे करें देखभाल:
• जन्म के शुरूआती 1 घन्टे में स्तनपान की शुरुआत एवं अगले 6 माह तक केवल स्तनपान
• बच्चे को गर्म रखने एवं वजन में वृद्धि के लिए कंगारू मदर केयर
• गर्भ नाल को सूखा रखें. ऊपर से कुछ भी ना लागएं
• 6 माह के बाद स्तनपान के साथ शिशु को सम्पूरक आहार
• निमोनिया एवं डायरिया होने पर तुरंत चिकित्सकीय सलाह
• बच्चे में किसी भी खतरे के संकेत मिलने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह