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विज्ञान एवं पारम्परिक ज्ञान प्रदर्शनी का हुआ आयोजन

हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ में विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में सोमवार को विद्यालयों, महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों सहित स्थानीय वैद्यों ने अपनी उपलब्धियों का प्रदश्रन किया। विश्वविद्यालय में आयोजित इस प्रदर्शनी में विज्ञान संग पारम्परिक ज्ञान का अनूठा मेल देखने को मिला। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने विश्वविद्यालय परिसर में आयोजि इस प्रदर्शनी में दर्शाए गए कार्यों का अवलोकन किया और जाना कि किस तरह से पारम्परिक ज्ञान और विज्ञान के क्षेत्र में बदलाव की प्रक्रिया जारी है। कुलपति ने इस आयोजन को मौजूदा दौर में उपयोगी करार देते हुए कहा कि भारत विज्ञान के साथ-साथ पारम्परिक ज्ञान के मोर्चे पर भी विश्व में अपनी एक अलग पहचान रखता है और विद्यार्थियों के लिए यह जरूरी है कि वे पुरातन ज्ञान भी जाने-समझें।

प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने इस अवसर पर कहा कि इस विज्ञान प्रदर्शनी के माध्यम से स्कूली स्तर पर विद्यार्थियों की प्रतिभा को पहचान प्रदान करने का प्रयास किया गया है। यहाँ प्रस्तुत मॉडल्स को देखने से ज्ञात होता है कि हमारी आने वाली पीढ़ी विभिन्न विषयों फिर वो चाहे बढ़ती सड़क दुर्घटनाएँ हो, ग्रामीण क्षेत्र का विकास हो, कृषि के क्षेत्र में तकनीक का प्रयोग हो या फिर आम व्यक्ति की अनियमित दिनचर्या से स्वास्थ्य को हो रहे नुकसान आदि को लेकर बेहद चिंतित है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने प्रदर्शनी में शामिल विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों में विज्ञान के प्रति रूझान साबित करता है कि ये विज्ञान की सेवा के लिए तैयार हैं और अवश्य ही ये समाज व देश के लिए कुछ अच्छा करके दिखायेंगे। कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने इस अवसर पर श्री ओमसाईं राम एकेडमिक हाईट्स पब्लिक स्कूल, महेंद्रगढ, राष्ट्रीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, रेवाड़ी व हैप्पी एवरग्रीन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, महेंद्रगढ़ की टीमों को विशेष पुरस्कार देने की भी घोषणा की।

विश्वविद्यालय में आयोजित विज्ञान एवं पारम्परिक ज्ञान प्रदर्शनी में 10 वैद्यों, विभिन्न विद्यालयों,  महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों की 25 टीमों ने अपने मॉडल प्रस्तुत किए। इन टीमों ने ग्रीन विलेज, बायोडिग्रेडेबल कचरे का उपयोग, मेग्नेटिक हायपरथर्मिया फॉर डिस्ट्रक्शन ऑफ ट्यूमर सेल्स, थ्रीडी प्रिंटर का डिजाइन, कृत्रिम वर्षा, जल संचयन, स्मार्ट सिटी, सोलर सिस्टम, अल्ट्रासोनिक रडार व निर्माण, हाइड्रोफोनिक्स,  आदि मॉडल्स ने सभी का ध्यान आकर्षित किया।

विश्वविद्यालय में आयोजित विज्ञान एवं पारम्परिक ज्ञान प्रदर्शनी-2020 के संयोजक प्रो. दीपक पंत व आयोजन सचिव डॉ. राजेश गुप्ता ने बताया कि इस प्रदर्शनी में विज्ञान के साथ-साथ पारम्परिक ज्ञान के प्रदर्शन हेतु वैद्यों को स्थान दिया गया। प्रदर्शनी में उपस्थित वैद्यों ने वात, पित्त, कफ दोष और आहार के प्रभावों के बारें में प्रदर्शनी में आने वाले लोगों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ़ जिले व इसके आसपास कई प्रकार के औषधीय पौधे जैसे गडतुम्बा, गौखरू आदि प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं और हमें इनका लाभ उठाना चाहिए।

इस प्रदर्शनी में प्रमुख रूप से इनमें एसआरएम यूनिवर्सिटी, राजकीय महाविद्यालय, महेंद्रगढ़; इंदिरा गाँधी विश्वविद्यालय, मीरपुर; एसजीटी यूनिवर्सिटी, गुरूग्राम; यदुवंशी डिग्री कॉलेज, महेन्द्रगढ़; आरपीएस इंजीनियरिंग कॉलेज, महेंद्रगढ़; सूरज डिग्री कॉलजे, महेंद्रगढ़; आईआईएलएम यूनिवर्सिटी, गुरूग्राम; दयानन्द कॉलेज, हिसार; राजकीय महाविद्यालय, अटेली; राजकीय महाविद्यालय, खरखड़ा (रेवाड़ी); चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय,जींद, राष्ट्रीय स्कूल, खंडोला, राजकीय महाविद्यालय सतनाली, व आरबीएस एसआईईटी, जैनाबाद रेवाड़ी, आरपीएस स्कूल, महेंद्रगढ़; मॉडर्न वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, महेंद्रगढ़; एसकेए स्कूल, बसई; राव जयराम वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, बूंदेबाज नगर; बाबा खेतानाथ वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, सिहमा; सूरज वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, महेंद्रगढ़; हरियाणा इंटरनेशनल स्कूल, सलूनी, नारनौल; हैप्पी एवरग्रीन वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, महेंद्रगढ़; श्री ओमसाई राम एकेडमी हाइट्स पब्लिक स्कूल, यूनिवर्सल मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, चरखी दादरी; सरस्वती उच्च विद्यालय, नांगल सिरोही; यूनिवर्सल मॉडल वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, गौरिया की टीमें शामिल हुई।