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पूर्णतःआजादी हमें नहीं मिली अंबेडकर के सपनों का भारत नहीं बन पाया

रोहतक हमारे देश को आजाद हुए 72 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी पूरे देश में कहीं न कहीं आजादी के नारे हमें सुनने को मिल जाते हैं। इसमें पितृसत्ता से नारी की आजादी, पूंजीवाद से श्रमिकों की आजादी, जातिवाद, भ्रष्टाचार व भारत के हर एक कोने से किसी न किसी कोने से आजादी के नारे सुनाई दे जाते हैं।
आज बिल्कुल ऐसा भी नहीं है कि हालात 1947 से पहले के हैं। बहुत कुछ बदला भी हैं। देश ने विज्ञान, तकनीक, संचार, साहित्य, खेल में दुनिया भर में बुलंदीयां हासिल की हैं। ।हाल ही में मंगल यान भेजा हैं। आज औरत भी पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल लेती हैं। आज भारत वैश्विक स्तर पर आजाद होते हुए भी बहुत सारे वैश्विक समझौतों की वजह से नीतियां बनाते समय दबाव झेलता हैं। पूर्णतः आजादी हमें नहीं मिली हैं। मेरा मानना है कि अभी भगतसिंह,गांधी,अंबेडकर के सपनों का भारत नहीं बन पाया है।

लेखक -अमित

एम. ए. द्वितीय वर्ष राजनीतिक शास्त्र विभाग महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (लेख में जो भी विचार हैं वह लेखक का निजी विचार है )