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घर में पानी घुसने से नगंवा के ग्रामीण एनएच व नहर पर डाला डेरा

शुद्ध पे जल के लिए परेशान है ग्रामीण


भगवानपुर हाट(सीवान)प्रखंड क्षेत्र भिखमपुर पंचायत के नगंवा गांव व कौड़िया पंचायत के कौड़िया नालबंद टोला के ग्रामीणों के घरों में पानी घुस जाने से लोग अपने पशुओं के साथ परेशान है। घरों में पानी घुसने से नगवां गांव के लोग तत्काल अपना डेरा एनएच 331 के किनारे अपने परिजनों तथा पशुओं के साथ डालना शुरू कर दिया है। जबकि कौड़िया नालबंद टोला के लोग नहर पर अपने पशुओं के साथ रहने को मजबूर हो गए है।जहां उनके सामने स्वच्छ पे जल व भोजन की समस्या उत्पन्न हो गई है।

वही बाढ़पीड़ितों के बीच पहुचे महाराजगंज विधानसभा के प्रत्याशी अमित कुमार उर्फ अमित बाबा ने शुद्ध पे जल की व्यवस्था के लिए चापा कल लगवाने व राहत सामग्री का वितरण कराने का भरोसा दिलाया।वैसे तो प्रखंड के लगभग आधा दर्जन पंचायतों में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है । जिसमे बड़कागांव,नगवां, कौड़िया नालबंद टोला, चौगेठिया,मलिकपुरा,माहना,महम्मदपुर, चक्रवृद्धि सहसरॉव प्रमुख रूप से शामिल है । अभी तक बाढ़ प्रभावित गांवो में प्रशासन के स्तर से कोई व्यवस्था नहीं पहुंचने से लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है।महम्मदपुर पंचायत के चकमुंदा गांव से अन्य पड़ोसी गांव से संपर्क टूट गया है क्योंकि चकमुंदा से बनकट मठिया जाने वाले पथ पर काफी तेज गति से पानी का बहाव हो रहा है । चकमुंदा गांव के अक्षयलाल राय,राजेश राय, मनीष कुमार,कल्लू राय , लक्ष्मण राय , टेंगर राय , सुरेश प्रसाद यादव ने बताया कि चकमुंदा गांव के पड़ोसी गांव सारण जिले के सहाजितपुर थाने के सिसई गांव के पास से जल निकासी का मार्ग अवरुद्ध होने पानी नहीं निकल रहा है।जिसके कारण लगभग आधा दर्जन गांव में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है । सहसरॉव से आरुआ मेला जाने वाली सड़क के अगल बगल पानी के दबाव से टूट गया है।पानी के बढ़ते दबाव से लगभग सभी गांव के धान व मक्का की फसल बर्बाद हो गए है जिसके कारण मवेशियो के चारे की समस्य उत्पन्न हो गई है । मनुष्य तो अभी सिर्फ जल जमाव से परेशान है लेकिन मवेशी खाली पेट पानी में खड़े रहने की विवश है । शायद ही सावन माह में कोई दिन होगा जिस दिन बारिश नहीं होती । धमई नदी का तेवर आए दिन खतरनाक होती जा रहा है । नदी के किनारे बसे गांवो में भीषण तबाही हुई है। सीओ युगेश दास ने कहा कि घर से निकल उच्चे स्थानों पर रह रहे लोगों के लिए राहत सामग्री मुहैया कराने के लिए सर्वे कराया जा रहा है। जबकि खुले आसमान के नीचे रहने वालो को हर संभव सरकार के नियम के अनुसार राहत पहुंचाई जाएगी ।