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बिहार सरकार द्वारा जारी जातीय गणना रिपोर्ट फर्जी: रालोजद

छपरा:बिहार सरकार द्वारा सामाजिक आर्थिक सर्वे के नाम पर कराई गई जाति आधारित गणना में कुशवाहा/कोइरी जाति के साथ-साथ पिछड़ें एवं अति पिछड़ें वर्ग के कई छोटी-छोटी जातियों की गणना कम करके यानी बिल्कुल फर्जी आकड़ा जारी किया गया है।उक्त बाते छपरा में नगरपालिका चौक पर राष्ट्रीय लोक जनता दल, सारण द्वारा आयोजित धरना को सम्बोधित करते हुए रालोजद जिलाध्यक्ष डॉ.अशोक कुशवाहा ने कही।धरना के बाद जिला पदाधिकारी, सारण के माध्यम से महामहिम राज्यपाल महोदय को राष्ट्रीय लोक जनता दल सारण की ओर से एक ज्ञापन सौंपा गया।जिसमें कहा गया है कि बिहार सरकार द्वारा सामाजिक – आर्थिक सर्वेक्षण के नाम पर पहले चरण में जारी की गई जाति आधारित गणना में कुशवाहा/ कोइरी के साथ-साथ पिछड़ें एवं अति पिछड़ें वर्ग के कई छोटी-छोटी जातियों की गणना को कम करके, यानी फर्जी दिखाया गया है। इस प्रकार जारी किए गए आकड़ों में कई तरह की विसंगतियां हैं। राज्य वासियों से यह भी जानकारी मिल रही हैं कि राज्य के लाखों परिवार ऐसे है, जिनके यहाँ कोई भी व्यक्ति सर्वे करने गया हीं नहीं। ऐसी स्थिति में ऐसे परिवारों का सामाजिक एवं आर्थिक सर्वेक्षण हुआ कैसे? यह सोचने का विषय है। ऐसा प्रतीत होता हैं कि बिहार सरकार ने अपनी राजनितिक लाभ के लिए कई जातियों के आकड़ों को कम करके दिखाने का काम किया हैं, जबकि सरकार द्वारा जिन जातियों के गणना को कम करके दिखाया गया हैं उसकी जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल विपरीत है।


सरकार द्वारा जारी किए गये इस जातिगत आकड़ों से जिन जातियों की संख्या कम दिखायी गयी है, उनको भविष्य में उनके विकास के लिए बनाई जाने वाली नीतियों के वजह से उन्हें कई प्रकार का नुकसान उठाना पड़ेगा एवं सर्वेक्षण में विसंगतियों के कारण भविष्य में सरकार द्वारा अपनायी जाने वाली किसी भी नीति में सम्पूर्णता का आभाव रहेगा।
ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि – समाचार-पत्रों के अवलोकन से अब तो यह भी पता चला है कि जाति आधारित गणना के रिपोर्ट में बहेलिया जाति, चन्द्रवंशी (कहार, कमकर) जाति और माली (मालाकार) जातियों कि जो संख्या बताई गई है, वह इथनोग्राफी अध्ययन से कम है। सामान्य प्रशासन विभाग, पटना बिहार की ओर से ए. एन. सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान, पटना के माध्यम से इन तीनों जातियों का इथनोग्राफी अध्ययन कराया गया था । वर्ष 2015-16 के इथनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार बहेलिया जाति की संख्या 67,535 हैं, जबकि वर्तमान में जारी जातिगत गणना में बहेलिया जाति की संख्या मात्र 8026 बताई गयी है।

इसी प्रकार चन्द्रवंशी (कहार, कमकर) जाति की संख्या जो वर्ष 2015-16 में इथनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार 30,32,800 थी, उनकी भी वर्तमान जातिगत गणना में संख्या सिर्फ 21,55,644 बताई गयी है। ठीक इसी प्रकार माली (मालाकार) जाति की संख्या वर्ष 2015-16 के इथनोग्राफी रिपोर्ट के अनुसार 13,15,465 थी, उसे भी वर्तमान जारी जातिगत गणना में सिर्फ 03,49,285 हीं बताई गयी है। वर्णित आकड़ों के अवलोकन से सरकार द्वारा जारी जातिगत आकड़ा घर में बैठकर बनाई गयी एवं बिल्कुल जाली व फर्जी प्रतीत हो रही है।


सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण में व्याप्त विसंगतियों को दूर किए बगैर इसे लागू करना राज्य के गरीबों एवं छोटी-छोटी जातियों के हित में नहीं हैं। गलत सर्वे ऐसे लोगों के साथ बिल्कुल नाइंसाफी हैं।
अतः महामहिम राज्यपाल महोदय से अनुरोध है कि बिहार सरकार द्वारा जारी किए गए सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के आकड़ों में हस्तक्षेप करते हुए सम्पूर्ण आकड़ों को जारी करने से पहले तैयार आकड़ों को पंचायत स्तर पर दुबारा सघन समीक्षा कराई जाय, सर्वेक्षण से वंचित परिवार को भी इसका हिस्सा बनाया जाए।महामहिम को ज़िला पदाधिकारी के माध्यम से दिए गए पत्र में यह भी कहा गया है की सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण को जारी करने से पहले बिहार सरकार द्वारा कोर्ट में दिए गए हलफनामा के अनुसार किसी भी व्यक्ति कि निजी जानकारी को सार्वजानिक नहीं किया जाना है। सार्वजनिक करने से नीजता के अधिकार का उलंघन होगा।

बावजूद इसके जनता दल (यू.) बिहार के प्रवक्ता श्री नीरज कुमार के द्वारा राष्ट्रीय लोक जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मा० श्री उपेन्द्र कुशवाहा जी की जानकारी को नाजायज तरीके से प्राप्त कर उसे सार्वजनिक किया गया है, जो डाटा प्रोटेक्शन एक्ट एवं नीजता के अधिकार का उलंघन हैं, यानी की यह एक आपराधिक घटना है। रालोजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मान्यवर उपेन्द्र कुशवाहा जी सार्वजनिक रूप से कई बार यह कह चुके हैं कि उनसे किसी ने भी, कोई सर्वे नहीं किया है। ऐसे में जाहिर हैं कि जनता दल (यू.) के तरफ से फर्जी आकड़ा जारी किया गया है और जितने लोगों कि सर्वेक्षण में आंकड़ें जुटाए गये है,उस जानकारी कि गोपनीयता भी संदिग्ध है। अतः महामहिम राज्यपाल महोदय से साग्रह अनुरोध है कि यथाशीघ्र संज्ञान लेकर आवेदन-पत्र में वर्णित विषय के सम्बन्ध में आवश्यक कार्रवाई करने कि महती कृपा की जाय।ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने वालो में रालोजद जिलाध्यक्ष डा. अशोक कुशवाहा, प्रदेश महासचिव ओमप्रकाश कुशवाहा, बिनोद कुशवाहा, शौकत अली अंसारी, प्रदेश सचिव नवल किशोर कुशवाहा, रालोजद सारण के युवा जिलाध्यक्ष मुकेश सिंह, अरविन्द सिंह, श्रमिल प्रकोष्ठ के अध्यक्ष विनय सिंह कुशवाहा, गरखा प्रखण्ड अध्यक्ष अशोक सिंह, वरीय नेता रामबाबू शर्मा, तारकेश्वर सिंह, राजेश प्रसाद, राजकुमार राय, अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष हसनैन आलम, व्यावसायिक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष धर्मनाथ प्रसाद उर्फ काका जी, इंद्रदेव सिंह कुशवाहा, हरेन्द्र कुमार सिंह, राजीव कुमार, वंश राज आदि प्रमुख थे।