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शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाना अब अपराध के श्रेणी में शामिल

दिल्ली:अदालतों के सामने ‘शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाने’ के मामले आते रहे हैं। इस तरह के मामले में लड़का और लड़की रिलेशनशिप में होते हैं, इस दौरान उनके बीच फिजिकल रिलेशन भी बन जाता है।
बाद में जब दोनों का किसी वजह से संबंध विच्छेद होता है,तो कोर्ट में ‘शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाने’ का मामला बन जाता है।

अभी तक इस तरह के मामलों में अगर कोर्ट को ऐसा लगता था कि लड़के ने सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने के लिए शादी का झूठा वादा किया तो उसे सेक्शन 375 या सेक्शन 90 के तहत दंडनीय अपराध माना जाता था। गौरतलब है कि भारतीय दंड संहिता (IPC) में धारा 375 बलात्कार के अपराध को परिभाषित करती है और उसके लिए सजा निर्धारित करती है। धारा 375 के तहत बलात्कार का दोषी पाए जाने पर दो से पांच वर्ष की कैद या आजीवन कारावास की दी जा सकती है, जो कि अपराध की गंभीरता पर निर्भर करता है। वहीं सेक्शन 90 में धोखाधड़ी से कंसेंट लेने के अपराध को परिभाषित किया गया है।

लेकिन अब इस अपराध को सेक्शन 69 से डील किया जाएगा।

सेक्शन 69 में क्या कहता है

11 अगस्त, 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में तीन नए कानूनों का मसौदा पेश किया। संसदीय प्रक्रिया पूरा होने के बाद भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य बिल 2023 पहले के भारतीय दंड संहिता (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CRPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (एविडेंस एक्ट) को खत्म कर देगा।
भारतीय न्याय संहिता 2023 के सेक्शन 69 में विशेष रूप ‘शादी का झूठा वादा कर यौन संबंध बनाने’ के अपराध को डील किया गया है। सेक्शन 69 के तहत अगर किसी महिला के साथ शादी का झूठा वादा कर, नौकरी का झूठा वादा कर, प्रमोशन का लालच देकर या पहचान छिपाकर यौन संबंध बनाया जाता है, तो उसे अपराध माना जाएगा।

सेक्शन 69 के तहत अगर दोष साबित होता है तो 10 साल तक की कैद और जुर्माना का प्रावधान रखा गया है।
सीजेई चंद्रचूड़ का वह फैसला

प्रमोद सूर्यभान पवार बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह जरूरी तो नहीं कि लड़का या लड़की हर बार जब शारीरिक संबंध बनाते हुए यह ध्यान रखते हो कि उनकी एक दूसरे से शादी होने वाली है। यौन संबंध के पीछे मनोरंजन के लिए रिलेशनशिप भी हो सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को आधार मानकर कई उच्च न्यायालयों ने ऐसे मामलों में लड़कों को बलात्कारी मानने से इनकार कर दिया। इसी साल उड़ीसा हाई कोर्ट ने कहा था कि शादी के बहाने सेक्स को रेप से जोड़ना गलत है।