अब स्वास्थ्य कर्मियों को भी लगेंगे हेपाटाईटिस- बी के टीके
छपरा स्वास्थ्य कर्मियों के बेहतर स्वास्थ्य से ही स्वास्थ्य सुविधाओं की निरंतरता क़ायम रह सकती है। इसको ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार द्वारा सभी मेडिकल कॉलेजों सहित अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों को हेपाटाईटिस- बी के टीकों से प्रतिरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। इसको लेकर कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने राज्य के सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिए हैं।
पत्र के माध्यम से बताया गया कि ऐसे स्वास्थ्य कर्मी जिनके द्वारा प्रसव कार्य, इंजेक्शन लगाने एवं रक्त तथा उससे संबंधित कार्य किया जाता है, उन्हें हेपाटाईटिस-बी संक्रमण होने का ख़तरा हमेशा बना रहता है। इसलिए इस संक्रमण को रोकने के लिए स्वास्थ्य कर्मियों को हेपाटाईटिस- बी के टीकों से प्रतिरक्षित किया जाएगा।
तीन ख़ुराक में पूरा होगा प्रतिरक्षण
स्वास्थ्य कर्मियों को हेपाटाईटिस- बी के टीके की तीन ख़ुराक लेनी होगी। पहली ख़ुराक के बाद दूसरी ख़ुराक एक महीने के बाद एवं आखिरी ख़ुराक प्रथम ख़ुराक के 6 माह बाद लेनी होगी।
इसलिए स्वास्थ्य कर्मियों को प्रतिरक्षण की है जरूरत
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक हेपाटाईटिस-बी संक्रमित मरीजों के बॉडी फ्लुइड के निरंतर संपर्क में आने से स्वास्थ्य कर्मियों में संक्रमण फ़ैलने की संभावना बढ़ जाती है। विश्व स्तर पर प्रत्येक साल लगभग 50 लाख स्वास्थ्य कर्मी हेपाटाईटिस- बी वायरस से संक्रमित होते हैं। सामान्य लोगों की तुलना में स्वास्थ्य कर्मियों में वायरस संक्रमण की संभावना दस गुना अधिक होती है। हेपाटाईटिस-बी पीड़ितों के ईलाज की व्यवस्था उपलब्ध नहीं होने के कारण हेपाटाईटिस- बी का टीका ही रोकथाम का आखिरी विकल्प होता है।
यह टीका लगभग 90 प्रतिशत हेपाटाईटिस- बी का संक्रमण रोकने में प्रभावी होता है।
क्या कहते है सिविल सर्जन अब स्वास्थ्य कर्मियों को भी हेपटाइटिस-बी का टीका लगाया जाएगा। इसको लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने पत्र जारी कर निर्देश दिया है।