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विज्ञान के विकास में डॉ. एस.एस. भटनागर का योगदान अविस्मरणीय- प्रो. सुषमा यादव

हकेवि में विज्ञान भारती द्वारा डॉ. एस.एस. भटनागर के जन्म दिवस पर व्याख्यान का हुआ आयोजन

महेंद्रगढ़:हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेवि), महेंद्रगढ़ में पद्म-विभूषण डॉ. एस.एस. भटनागर के जन्म दिवस के अवसर पर विज्ञान भारती हरियाणा के द्वारा संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रायोजित विशेषज्ञ व्याख्यान का आयोजन किया गया। विज्ञान के विकास में डॉ. एस.एस. भटनागर की भूमिका विषय पर केंद्रित इस व्याख्यान में विशेषज्ञ के रूप में बीएलजेएस कॉलेज, तोशाम के प्राचार्य डॉ. राकेश भारद्वाज उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार के संरक्षण में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में विश्वविद्यालय की समकुलपति प्रो. सुषमा यादव उपस्थित रहीं। उन्होंने अपने संबोधन में विज्ञान भारती के द्वारा निरंतर आधुनिक विज्ञान व परम्परागत भारतीय विज्ञान के बीच संबंध स्थापित करने के लिए जारी प्रयासों का उल्लेख किया और कहा कि इस दिशा में सदैव डॉ.एस.एस.भटनागर का योगदान अविस्मरणीय रहेगा।

प्रो.सुषमा यादव ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय स्तर पर विज्ञान के विकास,अनुसंधान व नवाचार के अवसर विकसित करने हेतु विश्वविद्यालय कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार के प्रयासों के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि देश में विज्ञान के प्रति समझ विकसित करने व विज्ञान के विकास का माहौल तैयार करने में डाक्टर भटनागर ने उल्लेखनीय योगदान दिया। प्रो. यादव ने अपने संबोधन में विज्ञान से इतर डॉ. भटनागर की अन्य उपलब्धियों जिनमें कि बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के कुलगीत के निर्माण में योगदान और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त होने का उल्लेख विशेष रूप से किया। उन्होंने देश में प्रतिष्ठित प्रयोगशालाओं के विकास में डॉ. भटनागर के योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि हम सभी युवा वैज्ञानिकों को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर विज्ञान के विकास हेतु प्रयास करने चाहिए।

इससे पूर्व में विज्ञान भारती हरियाणा की उपाध्यक्ष व विश्वविद्यालय में भौतिकी एवं खगोल भौतिकी विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए विज्ञान भारती के उद्देश्यों और उसके द्वारा निरंतर भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक विज्ञान के बीच सीधे संबंध स्थापित करने हेतु जारी प्रयासों का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि किस तरह से विज्ञान भारती स्वदेशी भावना के साथ मॉडर्न व परंपरागत विज्ञान के साथ नई तकनीक के विकास व आधुनिक वैज्ञानिक शोधों की दिशा में प्रयासरत है। प्रो. सुनीता श्रीवास्तव ने विश्वविद्यालय स्तर पर प्रशिक्षण केंद्र व उद्यमिता विकास की दिशा में नए प्रयासों की शुरुआत का भी उल्लेख किया।कार्यक्रम में विशेषज्ञ वक्ता डॉ. राकेश भारद्वाज ने विज्ञान के विकास में डॉ.भटनागर के योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह से उन्होंने अपने जीवन में तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए विज्ञान के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। डॉ. भारद्वाज ने डॉ. एस.एस. भटनागर के बाल्यकाल से लेकर उनके जीवन पर्यंत तक जारी उल्लेखनीय प्रयासों के विषय में विस्तार से जानकारी दी और उनके द्वारा किए गए विज्ञान के विकास संबंधी कार्यों पर भी प्रकाश डाला। फिर वह चाहे उनका स्कूली जीवन रहा हो या फिर उनके द्वारा उच्च शिक्षा के दौरान किए गए कार्य रहे हों। कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगीत के साथ हुई। मुख्य अतिथि का परिचय सांख्यिकी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कपिल कुमार ने दिया जबकि विशेषज्ञ वक्ता का परिचय विज्ञान भारती के सदस्य व विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य डॉ. पवन कुमार ने दिया। कार्यक्रम में मंच का संचालन गणित विभाग की शोधार्थी पारुल पूनिया ने किया। आयोजन के अंत में विज्ञान भारती महेंद्रगढ़ जिले के संयोजक प्रो. विनोद कुमार ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर परमाणु खनिज संस्थान,भारत सरकार के पूर्व अतिरिक्त निदेशक व विज्ञान भारती महेंद्रगढ़ के जिला समन्वयक डॉ. ओ.पी. यादव, विश्वविद्यालय में शोध अधिष्ठाता प्रो. नीलम सांगवान,स्वामी दयानंद सरस्वती पीठ के पीठाचार्य प्रो. रणवीर सिंह, प्रो. दिनेश कुमार, प्रो. राजेश कुमार गुप्ता, प्रो. सुनील कुमार, प्रो. कांति प्रकाश सहित भारी संख्या में शिक्षक, विद्यार्थी व शोधार्थी उपस्थित रहे।