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कालाजार उन्मूलन अभियान :एनवीबीडीसीपी के पूर्व संयुक्त निदेशक ने जिले केभगवानपुर हाट और बसंतपुर गांव का किया दौरा

कार्यक्रम से संबंधित कार्यों का अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण को लेकर हुई चर्चा: डीवीबीडीसीओ

केंद्रीय टीम ने खेड़वा गांव के मरीजों से मिलकर ली जानकारी: वीडीसीओ

विभागीय स्तर पर कालाजार बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सरकार की ओर से दी जाती है राशि: एमओआईसी

कालाजार मुक्त के लक्ष्य को पूरा कराने में हम सभी को सुनिचित करनी पड़ेगी भागीदारी: पिरामल स्वास्थ्य

सीवान(बिहार)राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) के तहत फाइलेरिया और कालाजार उन्मूलन के लिए दो दिवसीय केंद्रीय टीम जिले के दौरे पर है। केंद्रीय टीम में शामिल एनवीबीडीसीपी के पूर्व संयुक्त निदेशक सह पिरामल स्वास्थ्य के राष्ट्रीय सलाहकार डॉ. विनोद कुमार रैना (डॉ. वीके रैना) के द्वारा पहले दिन जिले के भगवानपुर हाट एवं बसंतपुर प्रखंड के विभिन्न गांवों का दौरा कर फाइलेरिया और कालाजार रोग से संबंधित विस्तृत रूप से चर्चा की गई। भ्रमणशील टीम में जिला वेक्टर जनित नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीसीओ) राजेश कुमार, पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रमुख कुंदन कुमार, सीफार के क्षेत्रीय कार्यक्रम समन्वयक धर्मेंद्र कुमार रस्तोगी के अलावा डीसी जमाल अख्तर शामिल थे। इस अवसर पर बीसीएम सह बीएचएम सरफराज अहमद,लेखापाल चंदन कुमार सहित कई अन्य शामिल रहे।

मरीज से बातचीत करते डॉ.विनोद कुमार रैना

कार्यक्रम से संबंधित कार्यों का अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण को लेकर हुई चर्चा: डीवीबीडीसीओ
जिला वेक्टर बॉर्न डिजीज नियंत्रण पदाधिकारी (डीवीबीडीसीओ) डॉ मणि राज रंजन ने बताया कि केंद्रीय टीम कालाजार उन्मूलन को लेकर ज़िले के भगवानपुर हाट, बसंतपुर, गोरेयाकोठी और लकड़ी नाबीगंज प्रखंड के कालाजार और फाइलेरिया के मरीजों से मिलने के लिए दो दिवसीय दौरे पर आई हुई है। टीम के द्वारा बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कुमार रवि रंजन, वीबीडीएस आरती कुमारी, पिरामल स्वास्थ्य के बीसी विजय शंकर से फाइलेरिया (हाथीपांव एवं हाइड्रोसील) और कालाजार मरीजों को होने वाली परेशानी और बचाव से संबंधित जानकारी ली गई। ज़िले के किसी भी व्यक्ति में कालाजार से संबंधित लक्षण दिखे तो उसे अनिवार्य रूप से कालाजार की जांच करानी चाहिए। ताकि समय रहते बीमारी की जानकारी मिल सके।

केंद्रीय टीम ने खेड़वा गांव के मरीजों से मिलकर ली जानकारी: वीडीसीओ
वेक्टर जनित नियंत्रण पदाधिकारी (वीडीसीओ)
राजेश कुमार ने बताया कि केंद्रीय टीम के सदस्य डॉ. वीके रैना ने भगवानपुर हाट प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के वीबीडीएस प्रदीप ओझा, पिरामल स्वास्थ्य के बीसी अभिषेक सिंह से मिलकर विस्तार पूर्वक जानकारी ली। उसके बाद खेड़वा गांव की पोस्ट कालाजार डर्मल लीशमैनियासिस (पीकेडीएल) के मरीज़ आशा मुनि देवी और विसरल लीशमैनियासिस (वीएल) के अमित कुमार सोनी से कालाजार के लक्षण के साथ ही दवा से संबंधित जानकारी ली। इन दोनों मरीजों का इलाज स्थानीय स्तर पर चल रहा है। कालाजार उन्मूलन में हम सभी की सहभागिता सुनिश्चित करनी पड़ेगी। तभी देशव्यापी मुहिम को शत प्रतिशत सफ़लता मिलेगी।

विभागीय स्तर पर कालाजार बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को सरकार की ओर से दी जाती है राशि: एमओआईसी
बसंतपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सा डॉ. कुमार रवि रंजन ने बताया कि केंद्रीय टीम ने कालाजार प्रभावित गांवों का निरीक्षण कर जायजा लिया। वहीं क्षेत्र के बड़वा कला गांव के कालाजार मरीजों से मुलाकात कर आवश्यक जानकारी दी गई तथा फीडबैक ली गयी। ज़िले से कालाजार को मिटाने के उद्देश्य से चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का भी मुआयना किया गया। बता दें कि विभागीय स्तर पर कालाजार बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपये केंद्र सरकार की ओर से श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दी जाती है। पीकेडीएल और वीएल के इलाजरत मरीज़ों के लिए सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में रोगियों की जांच, इलाज एवं रहने या भोजन की व्यवस्था पूरी तरह से निःशुल्क है।

कालाजार मुक्त के लक्ष्य को पूरा कराने में हम सभी को सुनिचित करनी पड़ेगी भागीदारी: पिरामल स्वास्थ्य
पिरामल स्वास्थ्य के जिला प्रतिनिधि कुंदन कुमार ने बताया कि राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एनवीबीडीसीपी) से सबंधित फाइलेरिया और कालाजार उन्मूलन अभियान में क्षेत्र की जीविका दीदी, आंगनबाड़ी सेविका, आशा कार्यकर्ता और मुखिया सहित स्थानीय पंचायत जनप्रतिनिधियों का सहयोग अपेक्षित है। जिले को फाइलेरिया और कालाजार मुक्त करने के लक्ष्य को पूरा कराने में स्थानीय स्तर के सभी अधिकारियों एवं कर्मियों को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी।
बताया कि कालाजार और फाइलेरिया पीड़ित गांवों के निरीक्षण के दौरान कालाजार मरीजों की पहचान कर स्वास्थ्य संस्थानों पर पहुंचाने के लिए प्रेरित भी किया गया।