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जिलाधिकारी की अध्यक्षता में हुई स्वास्थ्य विभाग की मासिक समीक्षात्मक बैठक

स्वास्थ्य के सभी सूचकों पर लक्ष्य के अनुरूप उपलब्धि हासिल करें

किशनगंज(बिहार)स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में पिछड़े जिलों में गिने जाने वाले किशनगंज  में अब स्वास्थ्य सुविधाएं पहले से काफी बेहतर  हुई हैं । स्वास्थ्य संबंधी मामलों में मैटरनल हेल्थ, चाइल्ड हेल्थ, इंफ्रास्ट्रक्चर,इम्युनाइजेशन, टीबी ट्रीटमेन्ट व एफआरयू से जुड़ी सेवाओं में निर्धारित मानकों में जिले का प्रदर्शन बेहतर रहा है। इसी क्रम में बुधवार को जिला सभागार में जिलाधिकारी-सह-अध्यक्ष जिला स्वास्थ्य समिति श्रीकांत शास्त्री  की अध्यक्षता में स्वास्थ्य विभाग की समीक्षात्मक बैठक आयोजित की गई । जिसमें  सिविल सर्जन डॉ.कौशल किशोर ने बताया कि प्रखंडवार टीकाकरण,मातृत्व स्वस्थ्य,शिशु स्वास्थ्य परिवार कल्याण,किशोर-किशोरी कार्यक्रम,वेक्टर जनित रोग,टीबी नियत्रंण,अंधापन,गैर संचारी रोग, एएनसी जांच,टीकाकरण,संस्थागत प्रसव,अस्पताल में प्रसव से जुड़ी सेवाओं को सुदृढ़ करने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिये स्वास्थ्य अधिकारियों को अधिक जिम्मेदार रवैया अपनाने की जरूरत है। स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं की बेहतरी के लिये निरंतर प्रयास कर रहा है। लेकिन इसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित कराना स्वास्थ्य अधिकारियों के जिम्मे है। सिविल सर्जन ने बताया कि स्वास्थ्य योजनाओं को प्रभावी बनाने के लिये जरूरी प्रयास किये जा रहे हैं। हाल के दिनों में टेलीकंस्लटेशन सेवाओं के संचालन मामले में हमारा प्रदर्शन राज्य में अव्वल रहा है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम में जिले ने बड़ी कामयाबी हासिल की है।बैठक में सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ.अनवर आलम, एनसीडी पदाधिकारी डॉ. उर्मिला कुमारी,डीआईओ डॉ. देवेन्द्र कुमार,जिला कार्यक्रम प्रबन्धक डॉ. मुनाज़िम, जिला समन्वयक विश्वजीत कुमार,सभी प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी,प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक,लेखापाल आदि उपस्थित रहे।

मातृ-शिशु स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को बनायें बेहतर
स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने बीते माह संस्थागत प्रसव संबंधी मामलों में आयी गिरावट पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने मातृ-शिशु स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया।जिलाधिकारी ने कहा कि जिले में वीएचएसएनडी सत्र का सफल क्रियान्वयन जरूरी है। इससे एएनसी जांच,संस्थागत प्रसव व नियमित टीकाकरण अभियान को अधिक प्रभावी व असरदार बनाया जा सकता है। स्वास्थ्य अधिकारियों को क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं का नियमित फॉलोअप सुनिश्चित कराने को कहा गया। ताकि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा दिया जा सके। उन्होंने सभी एमओआईसी को क्षेत्र में संचालित सत्र का नियमित निरीक्षण का आदेश दिया। साथ ही बीएलीटीएफ की बैठक के माध्यम से प्रखंडवार विभिन्न विभागीय अधिकारियों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिये प्रभावी कदम उठाने का आदेश स्वास्थ्य अधिकारियों को दिया। जिलाधिकारी ने विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन मामले में कमतर प्रदर्शन करने वाले स्वास्थ्य अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई का आदेश दिया।
माह जून में प्रसव पूर्व 4 जांच 82 % किया गया –
जिले में स्वास्थ्य सुविधा के बढ़ते क्रम में कुल 05 सीएचसी, 03 पीएचसी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित 10 अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र(एपीएचसी) को  किर्याशील किया गया है। इन सभी स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सक एवं दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। एपीएचसी में एक -एक डॉक्टर के अलावा स्टाफ नर्स की नियुक्ति की गई है। इसके अलावा प्रत्येक दिन 19 हब 260 स्पोक्स के मदद से ई-संजीवनी के माध्यम से घर बैठे भी ओपीडी की सुविधा व टेलीमेडिसीन का भी लाभ मिल रहा है। गर्भवती माताओं एवं नवजात शिशुओं के लिए चलाये जा रहे कार्यक्रम में माह जून में प्रसव पूर्व 4 जांच 82 % किया गया। गर्भवती माता का टीटी टीकाकरण 141 प्रतिशत ,180 आईऍफ़ए गोली 78 %,360 कैल्सियम गोली 78 %,  शिशु के टीकाकरण की उपलब्धि ओ पी वी में 39 %, बी सी जी टीकाकरण 64 %, एचईपी बी -%, पेन्टा 1 86 %, पेन्टा 03 – 100%, मिजल्स एवं रूबेला 91 % पूर्ण टीकाकरण किया गया है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में ग्रामीण स्वास्थ्य,स्वच्छता एवं पोषण दिवस जिले में लक्ष्य के अनुरूप आयोजन किया जा रहा है।विदित हो कि जिले के सभी चिकित्सा केन्द्रों में प्रतिदिन दर्जनों की संख्या में गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की जाती है।दवा की उपलब्धता की समीक्षा करते हुए कहा कि विभाग के पास सभी बीमारियों की दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाना हमारा कर्तव्य

जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री ने बैठक में कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रम को बढ़ावा देने के उद्देश्य से परिवार नियोजन पखवाडा का आयोजन 31 जुलाई तक किया जा रहा है जिसमें परिवार नियोजन के लिए अपनाए जाने वाली विधि पीपीआईयूसीडी की जानकारी दी जा रही है। वहीं परिवार नियोजन के लिए आईयूसीडी सबसे उपयुक्त माध्यम है। चिकित्सक व कर्मी महिलाओं को दो बच्चों के बीच दो या दो से अधिक वर्ष के अंतर के लिए आईयूसीडी का प्रयोग करने की जानकारी दें।आईयूसीडी लगाने के बाद महिलाओं के शरीर पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। महिलाएं चीरफाड़ के नाम पर बंध्याकरण से डरती हैं,उनके लिए आईयूसीडी बेहतर विकल्प है। उन्होंने बताया प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी,गर्भ समापन के बाद पीएआईयूसीडी व कभी भी आईयूसीडी को किसी सरकारी अस्पताल में लगवाया जा सकता है। इसके इस्तेमाल से जहां अनचाहे गर्भ से बचा जा सकता है तो इसके इस्तेमाल से सेहत को कोई नुकसान नहीं है। जिले में स्वास्थ्य सुविधा को सुचारु रूप से क्रियान्वयन करने हेतु  सभी प्राथमिक चिकित्सा पदाधिकारी को आवश्यक दिशा निर्देश प्रदान किया। जिसमें सातों प्रखंडों के सभी स्वास्थ्य उपकेन्द्र,अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, स्वास्थ्य उपकेंद्रों में कायाकल्प के तहत सभी कार्य करने से स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर बनाया जा सकता है।