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प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया

जहां मन की शांति मिले वही अपने आपको शांतचित रहने का प्रयास किया जाना चाहिए: कार्यकारी महापौर

अंदर का नेत्र खोलकर यथार्थ का अनुभव करने की आवश्यकता: अनामिका बहन
सारण(बिहार)जिले छपरा शहर में स्थित प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में भगवान श्री कृष्ण जन्मोत्सव हर्षोल्लास से मनाया गया। ब्रह्मकुमारी अनामिका बहन के द्वारा आयोजित किए गए इस धार्मिक कार्यक्रम में नगर निगम की कार्यकारी महापौर रागिनी कुमारी, ब्रह्मकुमार समीर आनंद सहित कई अन्य के द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से जुड़े भाइयों और बहनों के अलावा कई सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे।

जहां मन की शांति मिले वही अपने आपको शांतचित रहने का प्रयास किया जाना चाहिए: कार्यकारी महापौर
विधिवत रूप से उद्घाटन के बाद कार्यकारी महापौर रागिनी कुमारी ने अपने संबोधन में कहा कि भागम भाग के इस दौर में शांति को खोजने की आवश्यकता नही है। क्योंकि जहां मन की शांति मिलती है। वही अपने आपको शांतचित रहने का प्रयास किया जाना चाहिए। इस सेवा केंद्र में आने के बाद जितनी सुकून मिली है शायद कही और मिला होगा। हालांकि इतना शांत वातावरण किसी के घर में भी नही मिलती होगी। इस आश्रम में छोटे छोटे बच्चों को राधा रानी व श्री कृष्ण का रूप में सजाया गया है। वहीं छोटे-छोटे बच्चे भजनों पर थिरक वहां उपस्थित सभी भाई बहनों को मन मोह रहे थे।

अंदर का नेत्र खोलकर यथार्थ का अनुभव करने की आवश्यकता: अनामिका बहन
ब्रह्माकुमारी अनामिका बहन ने कहा कि अंदर के नेत्र खोलकर यथार्थ का अनुभव करने की आवश्यकता है। क्योंकि श्रीकृष्ण केवल तन से देवता नहीं थे, बल्कि उनके मन में देवत्व का भी मन था। भव्य समारोह में स्वर्णिम विश्व का आह्वान दिव्य गीतों एवं राजयोग अभ्यास से किया गया। इस अवसर पर राधा कृष्ण के द्वारा झांकी के समक्ष अभिनय नृत्य व रास किया गया। भगवान श्रीकृष्ण ने ऐसे समय में जेल जन्म लिया था जब निर्दयी कंस जनता पर जुल्म बरपा रहा था। भरी सभा में जब दुर्योधन ने द्रोपदी का चीरहरण करने का प्रयास किया तो उस समय भगवान श्रीकृष्ण ने ही द्रोपदी की लाज बचा दिखा दिया था कि मनुष्य में अहं किसी भी काम का नहीं होता है।