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धूम्रपान से टीबी और श्वसन से संबंधित बीमारियों का अत्यधिक खतरा: सिविल सर्जन

तंबाकू सेवन से टीबी सहित कैंसर का अत्यधिक खतरा: सीडीओ

पूर्णिया(बिहार)भारत सरकार द्वारा वर्ष 2025 तक पूरे देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया गया है। जिसको लेकर जिला सहित अन्य क्षेत्रों में जागरूकता अभियान के तहत बचाव और सुरक्षित रहने के लिए सामुदायिक स्तर पर सहयोगी संस्थाओं के सहयोग से कई तरह के कार्यक्रम को संचालित किया जा रहा है। साथ ही टीबी के मरीजों को सरकार द्वारा निःशुल्क दवा के साथ ही पोषण की राशि और पौष्टिक आहार के रूप में फूड पैकेट उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं स्थानीय जिलेवासियों में तंबाकू और धूम्रपान का सेवन करने के कारण टीबी जैसी घातक बीमारियों के संक्रमण दर में इज़ाफा ही हो रहा है। जिस कारण टीबी मुक्त भारत का सपना साकार होने में थोड़ी सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। 

धूम्रपान के कारण टीबी और श्वसन से संबंधित बीमारियों का अत्यधिक खतरा: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ.अभय प्रकाश चौधरी ने बताया टीबी जैसी संक्रमित बीमारी से ग्रसित मरीजों के लिए तंबाकू सेवन और भी अधिक खतरनाक साबित हो सकता है। तंबाकू का इस्तेमाल,हृदय रोग,मधुमेह,कैंसर,फेफड़े की पुरानी बीमारी सहित कई बीमारियों का जन्म देता है। तंबाकू का उपयोग संक्रामक रोग जैसे- टीबी और श्वसन से संबंधित अन्य बीमारियों के लिए भी खतरानाक होता है।धूम्रपान के कारण टीबी रोग पैदा करने वाले माइक्रोबैक्टेरिया से लड़ने में रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को हद से अधिक कमजोर बना देता है।धूम्रपान करने वाले टीबी की व्यापकता धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है।  इसके अलावा सिगरेट और पान मसाला सहित अन्य बीमारियों में भी प्लमोनरी संक्रमण के जोखिम को बढ़ा देता है।

तंबाकू सेवन से टीबी सहित कैंसर का अत्यधिक खतरा: सीडीओ
जिला संचारी रोग पदाधिकारी डॉ. मिहिरकांत झा ने बताया कि काफ़ी लंबे समय तक धूम्रपान करने के कारण फेफड़े और सांस की नली में कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है।जबकि तंबाकू उत्पाद जैसे- तंबाकू, गुटखा या पान मसाला खाने या चबाने के कारण मुंह का कैंसर होने की शिकायत होती है।  धूम्रपान करने से कैंसर के साथ ही टीबी जैसी संक्रमित बीमारी होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है।जिस कारण धूम्रपान टीबी की रोकथाम में प्रतिकूल प्रभाव डालता है।तंबाकू सेवन से हो रही टीबी जैसी बीमारियों को नियंत्रित करने की कोशिश स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार की जा रही है।लेकिन अभी भी इस अभियान में तेजी लाने की आवश्यकता है।