Homeदेशबिहारस्वास्थ्य

अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम की सफलता के लिए चलाई गयी जागरूकता

धार्मिक स्थल से नेटवर्क सदस्य ने दवा खाने को लेकर की अपील:

पिछड़े इलाकों में जागरूकता फैलाने के लिए आगे आएं बुद्धिजीवी: सिविल सर्जन

मौलाना और इमामों को भी किया जा रहा है शामिल: डॉ. आरपी मंडल

पूर्णिया(बिहार)राज्य सरकार के निर्देश पर 20 सितंबर से जिले के 02 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लाभार्थियों, जिनमें गर्भवती एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम में दवा खिलाने का निर्णय लिया गया है। इसे पूरा करने के लिए जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग कहीं भी चूक नहीं होने देना चाहती है। जिसको लेकर जिले के विभिन्न इलाकों में लोगों को दवा सेवन को लेकर प्रेरित करने के लिए नेटवर्क सदस्यों के माध्यम से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में शुक्रवार को पूर्णिया पूर्व प्रखंड के दीवानगंज पंचायत एवं कसबा प्रखंड में नेटवर्क सदस्यों के माध्यम से जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया।

धार्मिक स्थल से नेटवर्क सदस्य ने दवा खाने को लेकर की अपील:
शुक्रवार को जुम्मे के नमाज के बाद पूर्णिया पूर्व प्रखंड के दीवानगंज पंचायत में उपस्थित नमाजियों को स्थानीय नेटवर्क सदस्य रंजीत यादव ने बताया कि वे विगत 20 सालों से इस गंभीर रोग से जूझ रहे हैं। उन्हें पता है कि रोग का कोई स्थायी समाधान नहीं है। सरकार द्वारा रोग पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर हर साल एमडीए कार्यक्रम संचालित किया जाता है। जिसमें लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा का सेवन कराया जाता है। इसका सेवन रोग पर प्रभावी नियंत्रण के लिये जरूरी है। रंजीत ने कहा कि ग्रामीण व संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को इसके प्रति जागरूक कर रहे हैं। उन्होंने समाज में सभी वर्ग के लोगों से अपील की है कि 20 सितंबर से आयोजित होने वाले सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम में 02 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती माता एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर आवश्यक रूप से सभी को दवा खानी चाहिए ताकि इस रोग से बचा जा सके।

पिछड़े इलाकों में जागरूकता फैलाने के लिए आगे आएं बुद्धिजीवी: सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया यानी हाथीपांव कभी ठीक न होने वाला एक असाध्य रोग है। फाइलेरिया संक्रमण का पता लोगों को वर्षों बाद चलता है। जब रोग का लक्षण संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर स्पष्ट तौर पर दिखने लगता है। संक्रमण के प्रभाव से रोगी के हाथ, पांव, अंडकोष सहित शरीर के अन्य अंग में अत्यधिक सूजन उत्पन्न होने लगती है। उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण इलाकों व सुदूर इलाकों में लोगों के बीच अभी भी कहीं कहीं नकारात्मक सोच सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम की राह में बाधा है। ऐसा इसलिए है कि उन इलाकों में शिक्षा की कमी है। जिसके कारण लोग दवा खाने से अभी कतराते हैं। जो शिक्षित हैं और जिन्हें फाइलेरिया रोग की जानकारी है, वह तो आसानी से दवा खा लेते है लेकिन, जिन परिवारों में शिक्षा की कमी है, वहां पर लोगों को समझाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। इसलिए पिछड़े इलाकों में दवा खिलाने में बुद्धिजीवियों को आगे आकर स्वास्थ्य समिति का सहयोग करना चाहिए। बुद्धिजीवी अपने इलाकों के अशिक्षित लोगों का ज्ञानवर्द्धन करते हुए लोगों को दवा खाने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

मौलाना और इमामों को भी किया जा रहा है शामिल: डॉ.आरपी मंडल
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आरपी मंडल ने बताया कि लोगों को मोबलाइज करने में पेशेंट सपोर्ट ग्रुप के सदस्यों के द्वारा के नगर, कसबा एवं पूर्णिया पूर्व प्रखंड में कोई भी कसर नहीं छोड़ी जा रही है। स्थानीय नेटवर्क सदस्य को सूचना मिलने पर वहां जाकर लोगों को जागरूक किया जाता है। इसके लिए पहले स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मदद से लोगों को एकजुट किया जाता है। जिसके बाद उन्हें धार्मिक, वैज्ञानिक और सामुदायिक पहलुओं के माध्यम से जानकारी देकर दवा खाने के लिये प्रेरित किया जाता है। उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक इलाकों में लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान में नेटवर्क सदस्य की सहायता से मौलाना और इमामों को भी शामिल किया जा रहा है। वह धार्मिक स्थल से माइकिंग के माध्यम से लोगों को दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। माइकिंग के माध्यम से इलाकों के सभी पुरुषों  को अपनी अपनी बहनों, मां और पत्नी को दवा खाने की सलाह दी जा रही है। ताकि, उनको भी फाइलेरिया रोग के  संभावित प्रभाव से बचाया जा सके।