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पंचायत स्तर पर कैंप लगाकर टीबी के मरीजों को करें चिन्हित: डीएम

छपरा: टीबी लाईलाज नहीं है। इसका इलाज सम्भव है। सरकार की प्राथमिकता में टीबी उन्मूलन एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। वर्ष 2025 तक इसके उन्मूलन का लक्ष्य निर्धारित है। समाहरणालय सभागार में स्वास्थ्य विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन  ने ये बातें कहीं। जिलाधिकारी ने कहा कि पंचायत स्तर से जिला स्तर तक कार्यरत सभी चिकित्सक, पदाधिकारी, कर्मी इस कार्यक्रम में सहयोग करें।

सिविल सर्जन को निदेश दिया गया कि वैसे सभी प्रमुख चिकित्सक जो प्राइवेट पौक्टिस करते हैं, जो खासकर टीबी का इलाज करते हैं के साथ बैठक करें और टीबी के मरीजो के पंजीकरण के विषय पर बात करें तथा उन्हें सरकार द्वारा दी जा रही सभी सुविधाएँ उपलब्ध कराये। जिलाधिकारी ने जिला यक्ष्मा पदाधिकारी को निर्देश दिया गया कि महादलित टोलों में कैम्प लगाकर लोगों की जाँच की जाय तथा टीबी मरीज की पहचान की जाय।

जिला कल्याण पदाधिकारी से कैम्प के विषय में वार्ता कर विकास मित्रों का सहयोग लिया जाये एवं सभी स्थानीय जन प्रतिनिधि खासकर मुखिया को इससे जोड़ा जाये। उन्होंने टीबी मरीजों के बेहतर पोषण के लिए प्रति माह प्रदान की जाने वाली 500 रुपए की धनराशि के शत-प्रतिशत वितरण को सुनिश्चित करने के भी निर्देश दिए।
टीबी मरीजों का हो रहा ईलाज
जिला टीबी पदाधिकारी डॉ. रतनेश्वर प्रसाद ने बताया कि जिले में कुल 1462 टीबी मरीजों का ईलाज चल रहा है। टीबी पीड़ितों कि पहचान करने के लिए निर्धारित लक्ष्य के विरूद्ध जहाँ लहलादपुर में 80 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त की गयी है, वहीं एकमा में 26, पानापुर में 32, नगरा में 37, मशरख में 41, प्रतिशत की उपलब्धि है। कम उपलब्धि पर जिलाधिकारी ने नाराजगी व्यक्त करते हुये इसमें सुधार के निर्देश दिए।

        
कालाजार की समीक्षा में पाया गया कि इसमें काफी प्रगति हुयी है मरीजों की संख्या में कमी आयी है। बनियापुर, लहलादपुर, मशरख और पानापुर में 2018 की अपेक्षा 2019 में मरीजों की संख्या में आंशिक वृद्धि पर जिलाधिकारी के द्वारा इन प्रखण्डों के लिए माइक्रोप्लान बनाकर कार्य करने का निदेश दिया गया। जिला में पूर्ण टीकाकारण का 98 प्रतिशत लक्ष्य हासिल करने पर जिलाधिकारी के द्वारा संतोष व्यक्त किया गया परन्तु निर्देश दिया गया कि किसी भी प्रखण्ड में यह उपलब्धि सौ प्रतिशत से कम नहीं होनी चाहिये।

 
सभी प्रखण्डों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारियों को प्रत्येक सप्ताह  बैठक कर समीक्षा करने के विषय मे बताया गया। बैठक में सीडीपीओ की उपस्थिती को अनिवार्य किया गया। उपस्थित नहीं होने पर उनके एक दिन के वेतन में कटौती की भी बात बतायी गयी।


आयुष्मान भारत योजना के तहत 13 लाख लोगों को किया गया चिन्हित आयुष्मान भारत योजना की समीक्षा में पाया गया कि जिला में इसके लिए कुल 13 लाख लोग चिन्हित किये गये हैं जिसमें मात्र 53 हजार का ही कार्ड बना है। जिलाधिकारी के द्वारा प्रत्येक प्रखण्ड में कम से कम पाँच हजार कार्ड बनाने का तत्कालिक लक्ष्य दिया गया।

जिलाधिकारी के द्वारा बताया गया कि गोल्डेन कार्ड बनाने के लिए राशन कार्ड अथवा प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत जन आरोग्य का पत्र जरूरी है। इसके अतिरिक्त आधारकार्ड, पैनकार्ड, अथवा बैक पासबुक में से कोई एक दस्तावेज लगाना जरूरी है। गोल्डेन कार्ड सभी पीएमचसी एवं कमन सर्विस सेन्टर (वसुधा केन्द्र) पर बनाया  जा रहा है। इस योजना के तहत पाँच लाख रूपये तक की निःशूल्क चिकित्सा बीमा की सुविधा  उपलब्ध है।

इन से स्पष्टीकरण पूछने का दिया गया निर्देश

जिलाधिकारी के द्वारा मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना की समीक्षा में खराब प्रदर्शन करने वाले बनियापुर, गड़खा, इसुआपुर, लहलादपुर, माँझी, मशरख पानापुर, रिविलगंज तथा तरैया के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी एवं बीएचएम से स्पष्टिकरण करने का निदेश दिया गया।  
प्रसव के बाद जननी को घर भेजने के लिए एंबुलेस की व्यवस्था सुनिश्चित करें
 जिलाधिकारी ने बैठक में निदेश दिया कि प्रसवोपरांत जननी को घर भेजने के लिए शतप्रतिशत एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध करायी जाय एवं कम से कम 75 प्रतिशत धातृ महिला को एम्बुलेंस से अस्पताल लाया जाना सुनिश्चि करायी जाय।

जिलाधिकारी द्वरा आशा का माह जून तक का इन्सेंटिव भुगतान का निदेश दिया गया। बैठक में जिलाधिकारी के  साथ सिविल सर्जन डॉ. माधवेश्वर झा, डीएस डॉ. दीपक कुमार, एसीएमओ, डीपीएम धीरज कुमार, एसएमओं यूनिसेफ आरती त्रिपाठी, सभी एमओआईसी, बीएचएम, आदि उपस्थित थे।