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बीमार होने के बावजूद रंजीत समाज में फाइलेरिया के प्रति कर रहे है लोगों को जागरूक

फाइलेरिया यानी हाथीपांव कभी ठीक न होने वाला एक असाध्य रोग है, लेकिन बचाव ही इसका कारगर उपाय: सिविल सर्जन

प्रभावित अंग की समुचित देखभाल से रंजीत का जीवन हुआ आसान:

आप सभी खाएं डीईसी की दवा: रंजीत यादव

फाइलेरिया बीमारी से बचाव के प्रति कर रहे हैं लोगों को जागरूक:

उपयोगी साबित हो रहा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप: डीएमओ

पूर्णिया(बिहार)दुनिया में कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनका इलाज संभव नहीं है। एक ऐसी ही बीमारी का नाम है लिम्फीडिमा है। जिसे आम भाषा में हाथीपांव भी बोला जाता हैं। इसे दुनिया की सबसे अनोखी बीमारी बताया गया है। सिविल सर्जन डॉ. अभय प्रकाश चौधरी ने बताया कि फाइलेरिया यानी हाथीपांव कभी ठीक न होने वाला एक असाध्य रोग है। फाइलेरिया संक्रमण का पता लोगों को वर्षों बाद चलता है। जब रोग का लक्षण संक्रमित व्यक्ति के शरीर पर स्पष्ट तौर पर दिखने लगता है। संक्रमण के प्रभाव से रोगी के हाथ, पांव, अंडकोष सहित शरीर के अन्य अंग में अत्यधिक सूजन उत्पन्न होने लगता है। समय-समय पर रोगियों को प्रभावित अंगों में दर्द, लालपन व तेज बुखार की शिकायत होती है। शुरुआत में सूजन अस्थायी होती लेकिन बाद में यह स्थायी व लाइलाज हो जाती है। ऐसे हालात में रोग प्रभावित अंग की समुचित देखभाल जरूरी होती है। पिछले 20 वर्षों से फाइलेरिया संक्रमण के शिकार रंजीत यादव वर्ष 2022 में फाइलेरिया ग्रसित मरीजों को एकत्रित कर उनके स्वास्थ्य में सपोर्ट करने के लिए आनंद पेशेंट सपोर्ट ग्रुप का निर्माण कर फाइलेरिया रोग के प्रति समाज में लगातार जागरूकता अभियान का आयोजन कर रहे हैं।

फाइलेरिया बीमारी से बचाव के प्रति कर रहे हैं लोगों को जागरूक:
रंजीत यादव बताते हैं कि पूर्णिया पूर्व प्रखंड के डिमिया छतरजान पंचायत सहित आसपास के इलाकों में फाइलेरिया मुक्त भारत अभियान को मजबूत बनाने के प्रयास में जुटे हैं। स्थानीय क्षेत्र के 10 फाइलेरिया ग्रसित मरीज वाले आनंद पेशेंट सपोर्ट ग्रुप में सक्रिय सदस्य की भूमिका में हैं। वह समूह की विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से आसपास के ग्रामीणों को फाइलेरिया से बचाव व इसके प्रबंधन संबंधी उपायों के प्रति जागरूक कर रहे हैं। वहीं संक्रमितों को भी प्रभावित अंगों की देखरेख, जरूरी व्यायाम, मच्छरदानी का प्रयोग व आसपास के माहौल को स्वच्छ बनाये रखने के प्रति जागरूक कर रहे हैं। साथ ही आगामी 20 सितंबर से आयोजित होने वाले सर्वजन दावा वितरण में सभी को दवा खिलाने के उद्धेश्य से ग्रामीणों को जागरूक कर दवा खाने के लिए विद्यालयों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में गोदभराई, अन्नप्राशन दिवस, किशोरी दिवस, माता बैठक एवं ग्रामीण स्वास्थ्य स्वच्छता एवं पोषण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल होकर जागरूकता अभियान चला रहे हैं। इसी क्रम में नेटवर्क मेंबर के सहयोग से फाइलेरियारोधी स्लोगन के साथ दिवाल लेखन तथा जागरूकता रैली का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लोगों से सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की जा रही है।

आप सभी खाएं डीईसी की दवा: रंजीत यादव
रंजीत यादव बताते हैं कि विगत 20 सालों से इस गंभीर रोग से जूझ रहे हैं। उन्हें पता है कि रोग का कोई स्थायी समाधान नहीं है। लेकिन प्रभावित अंगों की समुचित देखरेख, जरूरी व्यायाम को जीवन में अपना कर इसके साथ सुगमतापूर्वक जीवनयापन संभव है। सरकार द्वारा रोग पर प्रभावी नियंत्रण को लेकर हर साल एमडीए कार्यक्रम संचालित किया जाता है। जिसमें लोगों को डीईसी व अल्बेंडाजोल की दवा सेवन कराया जाता है। इसका सेवन रोग पर प्रभावी नियंत्रण के लिये जरूरी है। आस-पास के ग्रामीण व संपर्क में आने वाले हर व्यक्ति को वे इसके प्रति जागरूक करते हैं। गांव में संचालित फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट ग्रुप से जुड़ने के बाद उनके इस अभियान को बेहद मजबूती मिली है। समूह की बैठकों में रोग से संबंधित विभिन्न मसलों पर विस्तृत चर्चा की जाती है। नजदीकी पीएचसी से उन्हें लिंक किया जाता है। इसकी मदद से उन्हें जरूरी चिकित्सकीय सुविधा व सुझाव आसानी से उपलब्ध हो पाता है। उन्होंने समाज में सभी वर्ग के लोगों से अपील की है कि 20 सितम्बर से आयोजित होने वाले सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम में 02 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती माता एवं गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को छोड़कर आवश्यक रूप से सभी को दवा खानी चाहिए ताकि इस रोग से बचा जा सके।

उपयोगी साबित हो रहा पेशेंट सपोर्ट ग्रुप: डीएमओ
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ आरपी मंडल ने बताया कि भारत सरकार एवं बिहार सरकार लिम्फेटिक फाइलेरिया (हाथीपांव) के उन्मूलन को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है। क्योंकि हाथीपांव एवं हाइड्रोसील फाइलेरिया के संक्रमण से होने वाले दुष्प्रभाव हैं। इस तरह के व्यक्तियों को भी साल में एक बार ही भारत सरकार के गाइडलाइन के आधार पर फाइलेरिया रोधी दवाओं अल्बेंडाजोल, डीईसी और आइवर मैकटिन या अल्बेंडाजोल और डीईसी का सेवन करना पर्याप्त है। फाइलेरिया को नियंत्रित करने के लिये प्रभावित अंग की समुचित देखरेख व व्यायाम जरूरी है। इसके प्रति आम रोगियों को जागरूक करने के उद्देश्य से ग्रामीण स्तर पर फाइलेरिया पेशेंट सपोर्ट समूह गठित किया गया। मासिक रूप से इसकी नियमित बैठकों में मरीज को जरूरी व्यायाम व साफ-सफाई के तकनीक के बारे में बताया जाता है। रोग के विभिन्न चरणों के आधार पर रोगियों को जरूरी सुझाव दिया जाता है। ताकि रोग को नियंत्रित किया जा सके। उन्होंने फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में पेशेंट सपोर्ट समूह की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया।इसमें लोगों से सर्वजन दवा वितरण कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील की जा रही है। इसी क्रम में नेटवर्क मेंबर के सहयोग से फाइलेरियारोधी स्लोगन के साथ दिवाल लेखन तथा जागरूकता रैली का आयोजन किया जा रहा जो काफी सराहनीय है।