हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय में ‘भारत का विज्ञान में योगदान‘ विषय पर एक दिवसीय सम्मेलन आयोजित
हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ में गुरूवार को ‘भारत का विज्ञान में योगदान‘ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। विश्वविद्यालय के जैवरसायन विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित इस राष्ट्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने की तथा समाज सेवी व राजनीति विज्ञान विषय के विख्याता श्री सीता राम व्यास मुख्य अतिथि के रूप में तथा महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक के पूर्व प्रोफेसर व रसायन विज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित शिक्षाविद् प्रोफेसर ओ.पी. अग्रवाल विशिष्ट अतिथि व मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने अपने संबोधन में भारत की पुरातन संस्कृति व इतिहास में वर्णित विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से बताया कि किस तरह से भारत विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी रहा है। उन्होंने इस आयोजन को युवा पीढ़ी के लिए महत्त्वपूर्ण बताते हुए कहा कि आज यह बेहद जरूरी है कि वैज्ञानिक व शोधकर्ता भारत के पुरातन विज्ञान को समझते हुए भविष्य की नींव मजबूत करें।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.सी. कुहाड़ ने इस मौके पर विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से बताया कि किस तरह से पुरातन काल में वैज्ञानिक नियमों को सांस्कृतिक व सामाजिक मान्यताओं के रूप में अपनाया जाता था। इसके लिए उन्होंने नदी व नहर से पानी में तांबे के सिक्के डालना, मन्दिरों में बजने वाली घंटी, हाथ जोड़कर नमस्कार करना तथा स्वास्थ्य के लिए उपयोगी योग क्रियाओं विशेषकर सूर्य नमस्कार का प्रमुखता के साथ उल्लेख किया। इसके साथ-साथ प्रो. कुहाड़ ने तनाव से बचाने के लिए मेहंदी के प्रयोग, रक्त के प्रवाह को सही रखने के लिए बिछुआ पहनने और पाचन तंत्र को बेहतर बनाने के लिए पदमासन के महत्त्व से अवगत कराया। विश्वविद्यालय कुलपति ने अपने संबोधन में बताया कि भारतीय पुरातन विज्ञान में नई-नई जानकारियों को भण्डार रहा है और इसका अध्ययन विज्ञान के क्षेत्र में भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने हेतु उपयोगी साबित हो सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए यह एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया है। जिसमें विश्वविद्यालय के साथ बाहर से आए विद्वानों ने विभिन्न विषयो में विज्ञान के महत्त्व व उनके ऐतिहासिक पहलुओं पर चर्चा की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री सीता राम व्यास से प्राचीन परम्पराओं के पीछे के विज्ञान का उल्लेख करते हुए कहा कि इसमें वह सब कुछ उपलब्ध है जिसके आधार पर उज्ज्वल भविष्य की नींव रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान ही भविष्य बनाता है। उन्होंने भारत के भविष्य निर्माण के लिए विदेशी श्रेष्ठता की भावना को छोड़ने, दासता की मनोवृत्ति को बदलने और हीनता की भावना का परित्याग करने पर जोर दिया और कहा कि इन तीन मन्त्रों को अपनाकर नए भारत का निर्माण सम्भव है। इसी तरह उन्होेंने गीता की विशिष्टता का उल्लेख करते हुए बताया कि विदेशी विद्वानों ने भी इसके महत्त्व को स्वीकारा और कहा कि मानसिक शान्ति के लिए यह बेहद उपयोगी माध्यम है। भारतीय वैज्ञानिक एस.एन. बोस, पी.सी. राय, रामानुजम का उल्लेख करते हुए उन्होंने युवा पीढ़ी को अपने पैरों पर खड़ा होने और देश के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर सम्मेलन की स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता व विशिष्ट अतिथि प्रो. ओ.पी. अग्रवाल ने कहा कि विज्ञान हमें वो साहस दे रहा है जिसके बूते हम चाँद पर पहुँच गए हैं और सूर्य पर हमारी नजर है। उन्होंने कहा कि भारत में पहिए का अविष्कार विज्ञान का ही चमत्कार है और यह दर्शाता है कि प्राचीन भारत में वैज्ञानिक खोजे किस रूप में हुई थी। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे अब्दुल कलाम का उल्लेख करते हुए प्रो अग्रवाल ने कहा कि गणित, नक्षत्र, चिकित्सा, वैमानिकी विषयों की जानकारी हमारे प्राचीन ज्ञान में वर्णित है। विमान को उड़ाने का कारनामा भले ही राइट्स बंधु के नाम से दर्ज हो लेकिन यदि हम अपने इतिहास को देखें तो शिवकर बापूजी तलपड़े नामक वैज्ञानिक का उल्लेख मिलता है जिन्होंने राइट्स बंधु से पहले ही 1400 फीट तक मशीनी उड़ान भरने का कारनामा अंजाम दिया था। डॉ. अग्रवाल ने इस अवसर पर कहा कि वर्तमान पीढ़ी को प्राचीन विज्ञान के प्रकाश में भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए अग्रसर होना चाहिए।
कार्यक्रम में स्वागत भाषण जैवरसायन विज्ञान विभाग की अध्यक्ष व सम्मेलन की संयोजक प्रो. नीलम सांगवान ने दिया। उन्होंने विषय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज के दौर में अपने इतिहास को जानकार ही उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ा जा सकता है। इस सम्मेलन का उद्देश्य इन्हीं पहलुओं पर विस्तार से विचार-विमर्श करना है। आयोजन में अखिल आयुर्विज्ञान संस्थान के प्रो. पुनीत मिश्रा, देशबन्धु कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की डॉ. रूबी मिश्रा और एनपीएल दिल्ली के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. आर.पी पन्त ने विशेषज्ञ वक्ताओं ने विषय के विभिन्न पक्षों पर प्रकाश डाला। इसी के साथ-साथ विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों की ओर से भी शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। इस आयोजन में करीब 400 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलसचिव, कुलानुशासक, वित्त अधिकारी, परीक्षा नियंत्रक सहित विभिन्न विभागों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, शिक्षक, विद्यार्थी एवं शोधार्थी उपस्थित रहे।