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सही पोषण शिशु स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी

• 6 माह बाद शिशुओं के लिए पूरक आहार अनिवार्य
• उम्र के अनुसार पोषण आपूर्ति जरूरी
• पोषण गतिविधियाँ कुपोषण खत्म करने में हो रही सहायक

पूर्णियाँ(बिहार)शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उनको सही पोषण का मिलना जरूरी है. जन्म के बाद शिशुओं को 6 माह तक केवल माँ का दूध ही दिया जाता है. लेकिन 6 माह बाद उसे पोषण देने की जरूरत होती है. इसके लिए शिशुओं को स्तनपान के साथ साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है. शिशुओं को समय से सही आहार के मिलने पर ही बाल कुपोषण की समस्या का निदान हो सकेगा. लोगों के बीच पोषण की जानकारी और इसकी महत्वता को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए सितंबर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाता है. इस माह में आईसीडीएस एवं स्वास्थ्य विभाग सहित कई अन्य विभाग के सहयोग से पूरे माह पोषण गतिविधियाँ आयोजित कर पोषण पर अलख जगायी जाएगी.

उम्र के अनुसार आपूर्ति जरूरी :
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार शिशुओं को 6 माह से 8 माह के बीच प्रतिदिन 615 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 686 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 894 किलो कैलोरी की जरूरत होती है. वर्तमान में भारत में स्तनपान के जरिए 6 माह से 8 माह के बीच 413 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 379 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 346 किलो कैलोरी की आपूर्ति हो पाती है. इस लिहाज़ से स्तनपान के अलावा शिशुओं को 6 माह से 8 माह के बीच 200 किलो कैलोरी, 9 माह से 11 माह के बीच 300 किलो कैलोरी एवं 12 माह से 23 माह के बीच 550 किलो कैलोरी की अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है.

ऐसे दें शिशुओं को अनुपूरक आहार :
राष्ट्रीय पोषण अभियान के जिला परियोजना सहायक सुधांशु कुमार ने कहा 6 माह के शिशुओं को प्रतिदिन 2 से 3 बार भोजन के रूप में, 6 से 9 माह तक के शिशुओं को 1 बार नाश्ता के अलावा 2 से 3 बार भोजन, 9 से 12 माह तक के शिशुओं को प्रतिदिन 3 से 4 बार भोजन तथा 1 से 2 बार नाश्ता एवं 12 से 23 माह तक के शिशुओं को प्रतिदिन 3 से 4 बार भोजन तथा 1 से 2 बार नाश्ता ‘पूरक आहार’ के रूप में दिया जाना चाहिए. छह से 9 माह तक के शिशुओं को प्रत्येक भोजन में लगभग आधा कटोरी, 9 से 12 माह तक के शिशुओं को कम से कम पौन कटोरी एवं 12 से 23 माह तक के बच्चों को प्रत्येक भोजन में कम से कम एक कटोरी पूरक आहार का होना जरूरी है. पूरक आहार के लिए घर में मौजूद मुख्य खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जा सकता है. सूजी, गेहूं का आटा, चावल, रागा, बाजरा आदि की सहायता से पानी या दूध में दलिया बनाया जा सकता है. बच्चे की आहार में चीनी अथवा गुड को भी शामिल करना चाहिए क्योंकि उन्हें अधिक ऊर्जा की जरूरत होती है. छह से 9 माह तक के बच्चों को गाढे एवं सुपाच्य दलिया खिलाना चाहिए. वसा की आपूर्ति के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिए. वसा के लिए आहार में छोटा चम्मच घी या तेल डालना चाहिये. इसके अलावा दलिया के अलावा अंडा, मछली, फलों एवं सब्जियों जैसे संरक्षक आहार शिशुओं के स्वस्थ विकास में सहायक होते हैं.

अनुपूरक आहार के लिए आंगनवाड़ी सेविका करती हैं अन्नप्राशन व बांटती हैं टीएचआर :

सुधांशु कुमार ने बताया शिशुओं को सही समय पर अनुपूरक आहार उपलब्ध कराने के लिए सभी आंगनबाड़ी सेविकाएँ माह में एक बार अन्नाप्रसन दिवस का आयोजन करती हैं. इस मौके पर 6 माह के शिशुओं को अनुपूरण आहार खिलाया जाता है. कोरोना काल में केंद्र बन्द होने के कारण सेविकाएँ घर-घर जाकर अन्नप्राशन करवाती हैं और इसके साथ ही उनके माता-पिता को इसके विषय में जानकारी दी जाती है. इसके अलावा सेविकाएँ हर माह टी.एच.आर. यानी टेक होम राशन का वितरण भी करती हैं, जिसमें 6 महीने से 3 वर्ष के शिशुओं के लिए चावल, दाल, सोयाबड़ी अथवा अंडा लाभार्थियों को उपलब्ध कराया जाता है व इस राशन से अनुपूरक आहार बनाने की जानकारी दी जाती है.