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डायथाइलकार्बामाज़िन (डीईसी) दवा की खोज करने वाले डॉ. येल्लाप्रगदा सुब्बा राव की मनाई गई जयंती

  • कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी दवा के रूप में
    मेथोट्रेक्सेट का किया जाता है उपयोग: डॉ सुषमा शरण
  • डॉ. येल्लाप्रगदा सुब्बा राव ने फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी गोली का किया था अविष्कार: डॉ माधुरी देवाराजू

गोपालगंज(बिहार)भारतीय चिकित्सा क्षेत्र के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण और मील का पत्थर साबित होने वाले डॉ येल्लाप्रगदा सुब्बाराव का हाथ है। क्योंकि फाइलेरिया जैसी बीमारी में डायथाइलकार्बामाज़िन (डीईसी) नामक दवा का प्रयोग किया जाता है। लेकिन बहुत ही कम लोगों को इस दवा के आविष्कार करने वाले व्यक्ति के बारे में जानकारी होगी। उक्त बातें जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण ने सदर अस्पताल परिसर स्थित मलेरिया कार्यालय के सभागार में आयोजित जयंती समारोह के दौरान कही। इस अवसर पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण, विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. माधुरी देवाराजू, डीवीबीसी सलाहकार अमित कुमार, वीडीसीओ प्रशांत कुमार और विपिन कुमार, पीरामल स्वास्थ्य के डीपीओ आनंद कुमार सहित कई अन्य अधिकारी और कर्मी उपस्थित थे।

  • कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी दवा के रूप में
    मेथोट्रेक्सेट का किया जाता है उपयोग: डॉ. सुषमा शरण
    जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुषमा शरण ने कहा कि चिकित्सा क्षेत्र के चमत्कारी पुरुष डॉ. येल्लाप्रगदा सुब्बाराव जिन्होंने कठिन परिश्रम के बदौलत सफलता की कहानी गढ़ी है। जिसमें मेथोट्रेक्सेट का उपयोग स्तन, त्वचा, सिर और गर्दन, फेफड़े, या गर्भाशय ल्यूकेमिया और कुछ प्रकार के कैंसर के उपचार के लिए किया जाता है। मेथोट्रेक्सेट का उपयोग अत्यधिक सोरायसिस और संधिशोथ वाले वयस्कों के उपचार में भी किया जाता है। क्योंकि मेथोट्रेक्सेट एक कीमोथेरेपी दवा है जिसका उपयोग कई अलग-अलग कैंसर के इलाज के लिए किया जाता है। हालांकि किसी भी प्रकार की बीमारियों का उपचार से पहले चिकित्सकों की सलाह या सहमति लेना आवश्यक होता है। ताकि किसी भी प्रकार के संभावित दुष्प्रभाव को आसानी से रोका जा सकता है।
  • डॉ. येल्लाप्रगदा सुब्बा राव ने फाइलेरिया से बचाव के लिए डीईसी गोली का किया था अविष्कार: डॉ. माधुरी देवाराजू
    विश्व स्वास्थ्य संगठन के क्षेत्रीय समन्वयक डॉ. माधुरी देवाराजू ने कहा कि फाइलेरिया, केंसर, पोषण और संक्रामक जैसी बीमारियों के लिए चार प्रकार की चमत्कारी चिकित्सा पद्धति और ऑरियोमाइसिन और टेट्रासाइक्लिन एंटीबायोटिक की खोज करने वाले डॉ सुब्बाराव की यह खोज उस समय तक के सबसे बड़े ज्ञात वैज्ञानिक प्रयोगों में से एक के बाद की गई थी। डॉ सुब्बाराव ने अमेरिकी सैनिकों को फाइलेरिया जैसी बीमारी से बचाव के लिए डायथाइलकार्बामाज़िन (डीईसी) दवा की खोज की थी। जिसका आज भी व्यापक रूप से पूरी दुनिया में उपयोग किया जाता है।